इंदौर। दुनिया भर में जिस तेजी से कैंसर की बीमारी फैल रही है, उतना ही चुनौतीपूर्ण इसकी पहचान कर पाना है. यही वजह है कि देरी से बीमारी की पहचान के कारण भारत जैसे देश में हर साल हजारों लोगों की मौत हो रही है. इंदौर में पहली बार कैंसर के संक्रमण की तत्काल जांच के साथ लोगों को इस भयावह बीमारी से बचाने के लिए राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र ने एक ऐसा डिवाइस विकसित किया है.
इस डिवाइस से पल भर में संभावित मरीज की बीमारी का पता लगाया जा सकता है. ओंकोडायग्नोस्कोप कहे जाने वाले इस डिवाइस से अब न केवल अस्पतालों में बल्कि एयरपोर्ट जैसे सार्वजनिक स्थानों पर कैंसर के जांच शिविर आयोजित किए जा रहे हैं.
हर साल आते हैं 10 लाख से ज्यादा मामले
दरअसल, देश में मुंह के कैंसर (Oral cancer) के हर साल करीब 10 लाख से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. यह संक्रमण उन लोगों में ज्यादा पाया जा रहा है, जो तंबाकू का सेवन करते हैं अथवा अधिक शराब या मुंह के अंदर रोग से पीड़ित होते हैं. ऐसे तमाम मरीजों में बीमारी का पता तब चल पाता है, जब कैंसर का संक्रमण सेकेंड या थर्ड स्टेज पर पहुंच जाता है.
अब तक बायोप्सी माना जाता था गोल्डन स्टैंडर्ड
फिलहाल कैंसर की जांच के लिए बायोप्सी को ही गोल्डन स्टैंडर्ड माना जाता है. यह जांच भी उन मरीजों की ही हो पाती है, जो बीमारी बढ़ने के बाद डॉक्टरों तक पहुंच पाते हैं. लिहाजा, बीमारी का इलाज काफी देर से हो पाने के कारण मरीजों को बचाना मुश्किल हो जाता है. इंदौर स्थित राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र (आरआर कैट) ने अपने इस खास अविष्कार के जरिए परमाणु विकिरण पर आधारित ओंकोडायग्नोस्कोप विकसित किया है.
ऐसे काम करता है डिवाइस
इस छोटे से डिवाइस में मौजूद Scanner के जरिए मरीज के मुंह में विकिरण के जरिए मुंह की कोशिकाओं और टिशु के ऐसे बदलाव की पहचान की जाती है, जो भविष्य में कैंसर के रूप में तब्दील हो सकते हैं. डिवाइस के स्कैनर को मुंह में डालते ही मशीन रूखी त्वचा के बदलाव को स्क्रीन पर दर्शाती है.