इंदौर।लॉकडाउन के चलते कई सामाजिक संस्थाएं और लोग एक दूसरे की मदद कर रहे हैं, लेकिन इंदौर के एक दंपत्ति, ज्ञानेंद्र पुरोहित और उनकी पत्नी मोनिका ने देशभर के मूक-बधिरों को घर पहुंचने का संकल्प लिया है. इस दंपति को मूक- बधिरों की भाषा साइन लैंग्वेज आती है, जिसके जरिए दिव्यांग बच्चों घर भिजवाने में इन्हें काफी मदद मिलती है. इनके काम का इतना असर हुआ कि, सुप्रीम कोर्ट को भी मूक बधिरों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए सरकार को निर्देश जारी करना पड़ा.
ये दंपति अलग-अलग राज्यों के अधिकारियों और अन्य लोगों से संपर्क कर मूक-बधिरों की जानकारी ले रहे हैं. शुरुआती दौर में हरियाण में फंसे प्रदेश के 23 से अधिक मूक-बधिरों को वापस घर पहुंचाया. उसके बाद इस दंपति का यह अभियान पूरे देश में फैल गया और वीडियो कॉल के जरिए इस संपति ने दिव्यागों की तरफ मदद का हाथ आगे बढ़ाना शुरू कर दिया. इस काम में कई राज्यों की पुलिस इस दंपति से सीधे संपर्क करती है, ताकि साइन लैंग्वेज की मदद से वे अपनी बात उस राज्य में फंसे लोगों को समझा सकें.