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देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में कोरोना का प्रवेश, कई संक्रमितों की हुई मौत - देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति डॉक्टर रेणु जैन

कोरोना प्रदेश की सबसे प्रतिष्ठित देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में अपना पैर पसार चुका है. यहां 10 से अधिक प्रोफेसर और अधिकारियों की इसके कारण मौत हो चुकी है. विश्वविधालय प्रशासन संक्रमण को रोकने के लिए कई सारी कदमें उठा रहा है.

Chancellor expressed concern about Corona in university
विश्वविद्यालय में कोरोना को लेकर कुलपति ने जताई चिंता

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Published : May 17, 2021, 9:07 PM IST

इंदौर। प्रदेश में कोरोना कहर बरपा रहा है. इस दौरान इंदौर स्थित प्रदेश की सबसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इससे अछूता नहीं है. यहां लगातार संक्रमितों के मामले सामने आ रहें हैं. जानकारी के अनुसार विश्वविद्यालय में अब तक 10 से अधिक लोगों की मौत संक्रमण से हो चुकी है. वहीं कई लोग वर्तमान में इस महामारी से संक्रमित हैं, जिनका इलाज होम आइसोलेशन और अस्पतालों में जारी है. संक्रमण के बढ़ते मामलों के चलते विश्वविद्यालय प्रशासन चिंतित है.

प्रोफेसर और अधिकारियों की कोरोना से मौत

देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में वर्तमान में कोरोना संक्रमण से दहशत का माहौल है. संक्रमण के चलते विश्वविद्यालय में अब तक 10 से अधिक मौतें हो चुकी हैं. इनमें विश्वविद्यालय के अधिकारी, कर्मचारी और शिक्षक शामिल है. यहां पर हो रही लगातार मौतों के चलते विश्वविद्यालय में इस महामारी से दहशत बनी हुई है. हालांकि वर्तमान में कई अन्य लोग भी इस महामारी से पीड़ित हैं, जिनका उपचार किया जा रहा है.

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विश्वविद्यालय उठा रहा है कई कदम

देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति डॉक्टर रेणु जैन के अनुसार विश्वविद्यालय में बढ़ते संक्रमण को देखते हुए लगातार कई कदम उठाए गए हैं. कोरोना संक्रमण के रोकथाम के लिए कई उपाय किए गए हैं. वहीं विश्वविद्यालय के अधिकारी, कर्मचारी और शिक्षकों के लिए एक हेल्पलाइन भी तैयार की गई है, जिसके माध्यम से सभी लोगों को इलाज संबंधित सुविधा मुहैया कराने की कवायद की जा रही है. इससे संक्रमण से बचने की कोशिश जारी है. इसके अलावा सभी अधिकारी कर्मचारी और शिक्षकों को वैक्सीन लगाने की कवायद भी की जा रही है. पहले जहां वैक्सीनेशन के लिए अलग-अलग कैंप आयोजित किए गए थे. वहीं वैक्सीन के दूसरे डोज के लिए भी विश्वविद्यालय में अब कैंप आयोजित किए जा रहे हैं, ताकि समय रहते सभी लोगों को वैक्सीन के दोनों डोज लगाया जा सके. इससे संक्रमण के प्रभाव को कम किया जा सकता है.

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