इंदौर।देश में स्वच्छता में नंबर वन सिटी में कोरोना का कहर ऐसा बरसा कि आज शहर की एक-एक गली में सन्नाटा पसरा हुआ है. हमेशा लोगों के चहलकदमी और शोरगुल में शुमार मिनी मुंबई में आज के नजारों में महज सूनी सड़के ही दिखाई पड़ती हैं. होलकर शासनकाल की शासिका मां अहिल्याबाई होल्कर की पुण्याई से रचे बसे करीब 32 लाख की आबादी वाले इस शहर की नब्ज इन दिनों लॉकडाउन के कारण धीमी हो गई है.
रंग पंचमी से ही फीकी पड़ी शहर की रौनक
खुशियां और खान-पान के विविध रंगों से सरोबर इंदौर में रंग पंचमी से ही कोरोना का कहर टूटते दिखा. रंग पंचमी में हुई कोरोना शुरूआत ने अपनी छाप छोड़ी है कि आधा शहर शांत हो गया है. महामारी ने शहर के लगभग हर एक इलाके को अपनी चपेट में ले लिया है, जिस वजह से लोग अपने-अपने घरों में दुबके बैठे हैं.
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बह रहे बेनूरी पर आंसू
बीते सवा महीने के दरमियान शहर की हर व्यवसायिक गतिविधि थम गई है, जिस कारण प्रदेश की आर्थिक राजधानी को अरबों रुपए का व्यापारिक नुकसान झेलना पड़ा है. शहर के राजवाड़ा में 56 दुकान, सराफा चौपाटी जैसे वे तमाम इलाके जिनका शोर पूरे शहर की रौनक था, वह आज अपनी बेनूरी पर आंसू बहा रहे हैं.
दर्ज हो चुका हॉटस्पॉट के रूप में नाम
मेडिकल और एजुकेशन हब के दावे करने वाला यह शहर आज देश के कोरोना मानचित्र पर हॉटस्पॉट के रूप में दर्ज हो चुका है. महामारी संकट के इस दौर में इंदौर को राज्य सरकार और तमाम जिम्मेदारों ने अपने हाल पर छोड़ दिया. बावजूद इसके शहर ने अपने सीमित संसाधनों और कोशिशों की बदौलत महामारी को मात देने के जो प्रयास किए हैं उनके कारण अब आंशिक तौर पर संक्रमण की स्थिति काबू में होती नजर आ रही है.