इंदौर। मध्यप्रदेश की कोरोना कैपिटल बन चुके इंदौर में कोरोना की जांच प्रक्रिया पर ही संकट गहरा गया है, कोरोना मरीजों की जांच के लिए जिस किट का उपयोग किया जाता है, वो अब खत्म होने को है. ऐसे में जिन मशीनों के जरिए जांच की जा रही है, उनका भी उपयोग संकट में पड़ गया है, यही वजह है कि अब सैंपल अन्य शहरों में जांच के लिए भेजा जा रहा है.
किसी भी संभावित मरीज में कोरोना का संक्रमण पता लगाने के लिए आरएनए एक्सट्रैक्शन मशीन का उपयोग किया जाता है. फिलहाल इंदौर मेडिकल कॉलेज की वायरोलॉजी लैब में ऐसी चार मशीनें हैं, जबकि एक ऑटोमेटिक एक्सट्रैक्शन मशीन के जरिए जांच की जा रही है. इन मशीनों के जरिए टेस्ट रिपोर्ट जानने के लिए जिस किट का उपयोग किया जाता है. उसका स्टॉक खत्म हो गया है, संभागायुक्त आकाश त्रिपाठी की मानें तो अब तक टेस्ट किट का जो भी स्टाफ था, उससे पहली बार 428 सैंपल का टेस्ट किया गया है.
इंदौर प्रशासन किटों की कमी से शासन को अवगत कराया है, उम्मीद जताई जा रही कि यदि किटों की उपलब्धता हो जाती है तो इंदौर में स्थित पांचों मशीनों से प्रतिदिन 630 लोगों की जांच हो सकेगी. फिलहाल आरएनए एक्सट्रैक्शन मशीन में जिन किटों का उपयोग किया जा रहा था. उसमें एक बार में 12 सैंपल ही हो पा रहे थे. पांचों मशीन से एक बार में 60 सैंपल ही जांचे जा रहे थे, जबकि जांचों की तुलना में मरीजों की संख्या कई गुना है. इंदौर प्रशासन के मुताबिक यदि सामान्य किट के स्थान पर शासन काइजन किट उपलब्ध कराता है तो एक मशीन से एक साथ 24 टेस्ट हो सकते थे. हालांकि, अब इंदौर प्रशासन ने आईसीएमआर से मैग्नेटिक स्टैंड की मांग की है.