इंदौर।देश और दुनिया में स्वच्छता और खानपान के लिए चर्चित इंदौर शहर पर कोरोना के कहर के बाद लॉकडाउन की ऐसी मार पड़ी है कि यहां के पारंपरिक और चमक दमक वाले प्रमुख बाजारों की रौनक गायब हो चुकी हैं, बीते 4 महीने से लॉकडाउन के कारण बाजार बंद रहने से जहां व्यापार ठप हो चुका है, वहीं अब नए सिरे से ग्राहकी जमने को लेकर भी महामारी के दौर में सबसे बड़ी चुनौती है. हालांकि फिर भी उद्योग और औद्योगिक संगठन नए सिरे से बाजार खड़ा करने को लेकर कमर कस चुके हैं.
बाजारों से रौनक गायब
इंदौर का 56 दुकान हो या सर्राफा बाजार, सियागंज हो या मारोठिया बाजार इन दिनों इन तमाम बाजारों से त्योहार के सीजन में भी रौनक गायब है, वजह है 4 महीने तक लंबा लॉकडाउन और उसके बाद संक्रमण फैलने के नाम पर बाजारों को बंद रखने के तरह-तरह के कायदे कानून, इन हालातों में न केवल बाजार बल्कि व्यापारी छोटे दुकानदार और कामकाजी मजदूरों की कमर टूट चुकी है. जहां पहले जो व्यापार 100 फीसदी मुनाफे वाला था, उसमें अब 20 फीसदी ग्राहकी भी नहीं बची है. नतीजतन मुनाफा तो अब दूर की बात है जो लागत लगी है वही निकालने को लेकर व्यापारी परेशान हैं.
औद्योगिक संगठन के सामने परेशानी
सबसे बड़ी परेशानी मजदूरों का पलायन, कच्चे माल की उपलब्धता और माल की डिलीवरी ना हो पाना है, लिहाजा उत्पादन 50 फीसदी ही हो पा रहा है, जो उत्पादन हो रहा है उसे देश के अन्य इलाकों में लॉकडाउन के कारण डिलीवर करना मुश्किल हो रहा है. इसके अलावा डीजल पेट्रोल के दाम बढ़ने से ट्रांसपोर्टेशन की दरें दोगनी हो चुकी हैं. इसके अलावा मजदूरों की कमी के चलते उद्योगों और मिलो में काम लगातार प्रभावित हो रहा है. इसके बावजूद औद्योगिक संगठन व्यवसाय को पटरी पर लाने के लिए हर संभव कोशिश में जुटे हैं.
व्यापारी बेहद परेशान
शहर के जो छोटे व्यापारी हैं उनका व्यवसाय लॉकडाउन से तो प्रभावित हुआ ही है इसके अलावा इंदौर में संक्रमण रोकने के लिए बाजारों को खोलने संबंधी बनाए गए लेफ्ट और राइट नियम के कारण प्रभावित हुए हैं, हालांकि कुछ इलाकों में जिला प्रशासन के इस फैसले से राहत भी मिली है, लेकिन लगातार बढ़ते संक्रमण के कारण फिर से व्यापार-व्यवसाय ठप होने की आशंका से व्यापारी अब भी परेशान हैं.