इंदौर। मध्यप्रदेश सरकार ने बिजली बिल माफी की घोषणा तो कर दी, लेकिन बिजली कंपनी के अधिकारियों की लापरवाही की वजह से यह घोषणा कभी जमीन पर उतर ही नहीं पाएगी. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक किलोवाट तक के बिजली उपभोक्ताओं के कोरोना काल के बिजली बिल को माफ करने की घोषणा की है, लेकिन अधिकारियों ने गरीब बस्ती में रहने वाले हजारों उपभोक्ताओं के इलेक्ट्रिसिटी लोड को एक किलोवाट से बढ़ाकर तीन किलोवाट तक कर इन्हें योजना से ही बाहर कर दिया.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से की गई घोषणा में अधिकारी पलीता लगाने का काम कर रहे हैं. दरअसल, कोरोना काल के दौरान एक किलोवाट वाले उपभोक्ताओं का बिल माफ कर का सीएम ने ऐलान किया था, लेकिन हकीकत यह है कि पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारियों ने बिजली उपभोक्ताओं को बिना बताए उनके घर के इलेक्ट्रिसिटी लोड को 1 किलोवाट से बढ़ाकर दो और तीन किलोवाट कर दिया. जिसकी वजह से यह उपभोक्ता इस घोषणा के पात्र नहीं रहे. इंदौर के 30 जोन में करीब 60 हजार उपभोक्ता इस योजना से बाहर हो गए, जबकि बिजली उपभोक्ताओं के घर में जाकर जब तफ्तीश की गई तो पता चला कि गरीब बस्ती में रहने वाले बिजली उपभोक्ताओं के घर में एक ट्यूबलाइट पंखे से ज्यादा बिजली उपकरण नहीं है.
इनके एक किलो वाट के ही बिजली के बिल आते थे, लेकिन विधुत वितरण कंपनी ने उपभोक्ताओं के बिलों के लोड को बढ़ाकर उन्हें एक बड़ा झटका दे दिए और उन्हें योजना से दूर कर दिया. वहीं रहवासियों का भी कहना है कि उन्हें बिना जानकारी के ही विद्युत वितरण कंपनी ने उनके बिल के लोड को बढ़ा दिया है, जिसके कारण उनके घर के बिजली का बिल में भी बढ़ोतरी हो गई है. वहीं उनका कहना है कि उन्होंने इस पूरे मामले की शिकायत भी आला अधिकारियों के साथ ही जनप्रतिनिधियों से की लेकिन किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई.
इस पूरे मुद्दे को लेकर कांग्रेस बीजेपी को घेरने की तैयारी कर रही है. वहीं विधानसभा क्षेत्र क्रमांक एक के विधायक संजय शुक्ला ने बीजेपी के नेताओं को आड़े हाथों लेते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर आरोप लगाया कि एक तरफ तो वह बिजली बिल माफी की घोषणा करते हैं. वहीं दूसरी ओर अधिकारियों से सांठगांठ कर इस तरह से गरीबों को परेशान कर रहे हैं. यदि आने वाले दिनों में बीजेपी की सरकार ने गरीबों के बिल माफ नहीं किए तो निश्चित तौर पर एक बड़ा आंदोलन किया जाएगा.
वहीं बिजली अधिकारियों के पास भी इस कार्रवाई का माकूल जवाब नहीं है. अधिकारियों का कहना है कि जिनके घरों में 150 यूनिट से ज्यादा की खपत है उनका लोट सिस्टम के अनुसार बढ़ा दिया गया है, लेकिन हकीकत में जिस घर में बिजली उपकरण नहीं बड़े तो यूनिट की खपत कैसे बढ़ गई यह एक बड़ा सवाल है. फिलहाल इस पूरे ही मामले में अधिकारी चुप्पी साधे हुए नजर आ रहे हैं और एक रूटिंग कार्रवाई बता रहे हैं.