इंदौर। तीन कांग्रेसी विधायकों और कांग्रेस शहर अध्यक्ष के खिलाफ रावजी बाजार और सराफा थाने में दर्ज एफआईआर खारिज करने से हाई कोर्ट ने इन्कार कर दिया है. तीनों विधायकों और शहर अध्यक्ष पर आरोप है कि उन्होंने लॉकडाउन के दौरान धारा 144 का उल्लंघन किया. बगैर अनुमति राजबाड़े पर अहिल्या प्रतिमा के पास धरना दिया और व्यापारियों से जबरन दुकानें खुलवाईं. रोक लगी होने के बावजूद भीड़ लेकर कलेक्टर कार्यालय ज्ञापन देने पहुंचे. एफआईआर को चुनौती देते हुए तीनों विधायकों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. लेकिन मंगलवार को कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया. हालांकि विस्तृत फैसला नहीं आया है.
लॉकडाउन के दौरान किया था प्रदर्शन
बता दें विधायक संजय शुक्ला, विशाल पटेल, जीतू पटवारी और शहर कांग्रेस अध्यक्ष विनय बाकलीवाल धारा 144 लागू होने के बावजूद कार्यकर्ताओं के साथ राजबाड़ा क्षेत्र में पहुंचे और दुकानदारों से दुकानें खुलवाई. पुलिस ने जब उनके खिलाफ मामला दर्ज किया तो वे इसका विरोध करते हुए राजबाड़ा पर अहिल्या प्रतिमा के पास बगैर अनुमति जमा हुए और धरना प्रदर्शन किया था.
अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव ने दी दलील
शासन की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव ने दलील दी. उन्होंने कहा कि देश में जनता को प्रदर्शन करने का अधिकार है, लेकिन कुछ प्रतिबंध भी हैं. इनका पालन करना जरूरी होता है. संक्रमण नियंत्रित रहे इसलिए धारा 144 लागू की गई थी. लेकिन विधायकों और कांग्रेस अध्यक्ष ने भीड़ जमा कर शहर की जनता की जान के साथ खिलवाड़ किया है. उन्होंने अपने तर्कों के समर्थन में शाहिन बाग मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की कॉपी भी प्रस्तुत की. कोर्ट ने सभी पक्षकारों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था, जो मंगलवार को जारी हुआ.
केंद्रीय मंत्री के जन्मदिन से शुरू हुआ था विवाद
पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता ने कोरोना काल के दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के जन्मदिन के अवसर पर राशन वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया था. इस कार्यक्रम को लेकर कांग्रेस ने विरोध दर्ज किया. उन पर कार्रवाई की मांग करते हुए बिना अनुमति के धरना प्रदर्शन किया था. जिसके चलते तीन विधायक, शहर अध्यक्ष समेत अन्य के खिलाफ धारा 188 के तहत मामला दर्ज किया गया था.