इंदौर।आमतौर पर पुरुष अपनी पत्नी के पास मौजूद धनराशि या उसके विभिन्न बैंक खातों की जानकारी नहीं रखते. यही वजह है कि विवाह विच्छेद अथवा तलाक की स्थिति में उन्हें लाखों रुपए के भरण पोषण की राशि चुकाने की स्थिति का सामना करना पड़ता है. इंदौर स्थित फैमिली कोर्ट में आए. ऐसे ही एक रोचक मामले में पति की फरियाद पर कोर्ट ने जब पत्नी के गुप्त खातों की डिटेल निकलवाई तो पता चला पत्नी खुद जॉब में है, जिसकी आय पति से दोगुनी है. इसके बावजूद वह खुद को फैमिली कोर्ट में असहाय और आर्थिक रूप से कमजोर बताकर भरण पोषण प्राप्त करने की मांग कर रही थी. लिहाजा कोर्ट ने प्रकरण की तफ्तीश के दौरान पत्नी द्वारा पेश किए गए भरण पोषण के दावे को झूठा पाकर संबंधित आवेदन को खारिज कर दिया है.
यह है भरण पोषण का मामला:इंदौर के खातीवाला टैंक में रहने वाले रोनक भाटिया (परिवर्तित नाम) की 2012 में विनी भाटिया से अरेंज मैरिज हुई थी. शादी के बाद 5 साल तक तो दोनों प्रेम पूर्ण तरीके से रहे लेकिन विनी भाटिया के माता पिता के दखल के कारण पति-पत्नी के बीच दूरियां बढ़ गई. इसके बाद विनी ने रौनक पर दबाव बनाना शुरू कर दिया कि वह अपने माता-पिता को अकेला छोड़ कर उसके साथ मायके में ही रहने लगे. रौनक की 5 साल की एक बच्ची भी थी और बुजुर्ग माता-पिता को वह भगवान भरोसे छोड़कर पत्नी के साथ अलग घर लेकर रहने को तैयार नहीं हुआ तो पत्नी नाराज होकर मायके चली गई.
भरण पोषण की मांग की: इसके बाद न तो उसने अपनी मासूम बच्ची की चिंता की न पति से बात की न ही सास-ससुर का ध्यान रखा. उल्टा विनी भाटिया ने अपने पति पर धारा 498 के तहत दहेज प्रकरण दर्ज करवा दिया. इसके बाद से ही यह केस इंदौर के फैमिली कोर्ट में चल रहा है. इस केस में सुनवाई के दौरान जब रोनक की पत्नी ने खुद को हाउसवाइफ और रुपए की मोहताज होना बताकर अपने पति से भरण पोषण की राशि दिलाने की मांग की. रौनक ने कोर्ट से अनुरोध किया कि विनी भाटिया के अन्य बैंक खाते भी हैं. जिसमें उसकी सैलरी आती है. क्योंकि रोनक भाटिया प्राइवेट नौकरी करता था और वह भरण पोषण की राशि अदा कर पाने की स्थिति में नहीं है.