इंदौर।देशभर में तेजी से बढ़ती महंगाई और आसमान छूती पेट्रोल डीजल की कीमतों के कारण दशकों बाद अब बैल और बैल गाड़ियों के दिन एक बार फिर लौट आए हैं. यही वजह है कि प्रदेश के पशु हाट बाजारों में बैलों के दाम 3.5 गुना तक बढ़ गए हैं. प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में स्थिति यह है कि परिवहन के साधनों के साथ अब खेती-किसानी और सामान ढुलाई के कामों में एक बार फिर बैलों का उपयोग किया जा रहा है.
3.5 गुना महंगी हुई बेलों की जोड़ी
इंदौर की कृषि उपज मंडी में स्थिति यह है कि जो ढुलाई मजदूर लोडिंग रिक्शा और ऑटो से सामान का परिवहन करते थे. वह भी बैलगाड़ी का सहारा लेते नजर आ रहे हैं. महंगाई के इस भीषण दौर में आलम यह है कि इंदौर समेत देवास, मक्सी, सनावद, सुंद्रेल और गुड़गांव के पशु हाट मेले में भी बैलों की जोड़ी 70 में मिल रही है. कुछ समय पहले तक यहीं जोड़ी 20 से लेकर 22 हजार रुपए में आसानी से मिल जाती थी.
लोडिंग वाहन पर रोजाना 500 रुपए ज्याद खर्च
महंगाई के कारण आम जरूरतमंद लोगों के अलावा अब सीमांत और मध्यमवर्गीय किसान भी अपने-अपने ट्रैक्टर छोड़कर एक बार फिर बैलगाड़ी और बैलों की ओर रुख करते नजर आ रहे हैं. इधर बैलगाड़ी और वाहनों के खर्चे के हिसाब का आकलन किया जाए तो प्रतिदिन बैलों को 300 रुपए की खली चुरी और भूसे की खुराक देनी होती है.
जबकि इतने ही परिवहन और कामकाज के लिए लोडिंग रिक्शा में प्रतिदिन करीब 800 रुपए का डीजल लग जाता है. साफ तौर पर 500 रुपए प्रतिदिन का घाटा देखकर लोडिंग रिक्शा चालक और लघु सीमांत किसान अपने कामकाज के लिए बैल और बैल गाड़ियों को ज्यादा मुफीद मान रहे हैं.
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