इंदौर।देश की राजधानी दिल्ली की तरह ही प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर की हवा भी जहरीली हो गई है. जिसका असर आम लोगों की जिंदगी के पौने 3 साल घटा रही है. यह खुलासा अमेरिका की शिकागो यूनिवर्सिटी की शोध संस्था द्वारा तैयार किए गए वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक में हुआ है.
जहरीली हुई आर्थिक राजधानी इंदौर की हवा इस एयर क्वॉलिटी लाइफ इंडेक्स के अनुसार प्रदेश में सबसे ज्यादा जहरीली हवा भिंड की है, जिसके बाद मुरैना, ग्वालियर, दतिया, रीवा, छतरपुर, शिवपुरी, और सतना जैसे शहर आते हैं. वहीं पश्चिमी मध्य प्रदेश के प्रदूषित शहरों में मंदसौर, उज्जैन, नीमच, देवास, इंदौर, रतलाम, खरगोन, धार और बड़वानी भी प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल हैं.
प्रदूषण से होने वाली बीमारियां
प्रदूषण के कारण मोतियाबिंद, हार्ट डिजीज, स्ट्रोक डायबिटीज और लंग कैंसर जैसी घातक बीमारियां हो सकती हैं. इसके कारण बड़ी संख्या में लोग अस्पताल भी पहुंच रहे हैं, मेडिकल जनरल 'द लेजेंड' के एक आंकड़े के मुताबिक 2017 में मध्यप्रदेश के करीब 83 हजार लोगों की जान वायु प्रदूषण के कारण जा चुकी है.
शहरों की हवा प्रदूषित होने के कारण लोगों की सेहत पर खतरा मंडरा रहा है लेकिन प्रदेश के प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने शिकागो यूनिवर्सिटी के सर्वे को खारिज कर दिया. प्रदूषण नियंत्रण मंडल का कहना है कि दिल्ली समेत अन्य राज्यों की तुलना में इंदौर और मध्य प्रदेश की स्थिति अलग है, यहां पर फिलहाल प्रदूषण की स्थिति खतरे से बाहर है.
ऐसे में लोगों को कब तक प्रदूषित हवा में जीने पर मजबूर होना पड़ेगा. अब समय आ गया है कि सच्चाई से मुंह मोड़ने की जगह आम लोगों और हुक्मरानों को अपनी जिम्मेदारी समझकर लोग स्वच्छ हवा में सांस ले सकें, इस तरफ काम करना चाहिए.