इंदौर। कोरोना महामारी के इस दौर में मुनाफाखोर कालाबाजारी करने से बाज नहीं आ रहे है. कोरोना के इलाज के लिए महत्वपुर्ण इंजेक्शन रेमडेसिविर की कालाबाजारी भी शहर में शुरू हो गई है. रेमडेसिविर की कालाबाजारी पर नियंत्रण के लिए अब अस्पतालों और मेडिकल दुकान के संचालकों के खिलाफ कठोर कार्रवाई शुरू की गई है. इस क्रम में शहर के एप्पल अस्पताल में संचालित मेडिकल शॉप को इंजेक्शन की कालाबाजारी के चलते सील कर दिया.
दरअसल जिला प्रशासन को विभिन्न अस्पतालों के माध्यम से दवाओं की कालाबाजारी की सूचना मिली थी. इसी क्रम में शुक्रवार को एप्पल हॉस्पिटल की मेडिकल शॉप के केमिस्ट रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते पाया गया. कार्रवाई करते हुए प्रशासन ने मेडिकल शॉप को सील कर संबंधित के विरुद्ध भंवरकुआं थाने में एफआईआर दर्ज कराई.
- अन्य अस्पतालों पर भी प्रशासन ने की कार्रवाई
मेडिकल शॉप पर कार्रवाई के आलावा इलाज के नाम पर अवैध वसूली करने पर शहर के गौरव हॉस्पिटल, सांई हॉस्पिटल और राऊ स्थित मिनेश हॉस्पिटल पर प्रशासन ने कार्रवाई की. कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार के लिए चार्ज की जा रही बिलिंग के संबंध में शिकायतें प्राप्त हुई थी. शिकायत के आधार पर जिला प्रशासन ने जांच प्रारंभ कर दी. इस कार्रवाई के चलते साईं और मिनेश हॉस्पिटल में मरीजों को एडमिट करने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई है. इन अस्पतालों का सीएमएचओ लाइसेंस स्थगित करने की प्रक्रिया भी प्रचलन में है. कलेक्टर ने बताया कि सभी निजी अस्पताल संचालकों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि, कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार में किसी भी तरह की लापरवाही या उपचार के लिए चार्ज किए जा रहे शुल्क में मनमानी नहीं की जाए. ऐसी कोई भी घटना संज्ञान में आने पर संबंधित के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
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- अस्पताल संचालकों को लगाई फटकार
कलेक्टर मनीष सिंह ने प्राइवेट अस्पतालों के संचालकों की बैठक में फटकार लगाते हुए कहा कि, अस्पतालों में ऐसी व्यवस्था की जाए जिससे मरीज और उनके परिजन परेशान नहीं हो. अस्पताल में आवश्यकता के अनुसार रेमडिसिविर इंजेक्शन मरीजों को लगाए जाए. जिन मरीजों को यह इंजेक्शन लगाए जा रहे है, उनकी सूची रोजाना भेजी जाए. यह सूची उसी दिन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय को उपलब्ध कराए. उन्होंने बताया कि अस्पतालों को दिए गए रेमडिसिविर इंजेक्शन के उपयोग का सत्यापन कराया जाएगा. इसके लिए जिला प्रशासन द्वारा अधिकारियों को अस्पतालवार जवाबदारी दी जाएगी. इंजेक्शन की व्यवस्था के लिए हर अस्पताल में एक वरिष्ठ चिकित्सक को नोडल अधिकारी बनाना होगा.