इंदौर।संत भय्यूजी महाराज की आत्महत्या ने सभी को हैरान कर दिया था. शुक्रवार को इंदौर जिला कोर्ट ने सेवादार आरोपियों को 6-6 साल की सजा सुना दी. इनमें भय्यूजी महाराज के करीब रहीं पलक भी शामिल हैं. आइए पार्ट-2 में जानते हैं पलक कैसे भय्यूजी महाराज की करीब आई और उन्हें डिप्रेशन का शिकार बनाया. (Palak and Bhaiyyuji Maharaj)
कौन है पलक ?
पलक द्वारकापुरी क्षेत्र की रहने वाली थी. उसके पिता पौराणिक, भय्यूजी महाराज के अनंत भक्त हैं. बताया जाता है कि किसी समय पलक को क्षेत्र में रहने वाले कुछ युवकों ने छेड़छाड़ की थी. इसकी जानकारी पलक के पिता ने भय्यूजी महाराज को दी. महाराज ने पलक के साथ छेड़छाड़ करने वाले युवकों के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर अपने एक सेवादार से कहा. (who is palak)
भय्यूजी महाराज के करीब कैसे पहुंची पलक ?
महाराज के आदेश पर सेवादार ने तात्कालिक सीएसपी घुरैया से शिकायत की और कुछ ही घंटों में सीएसपी ने पलक के साथ छेड़छाड़ करने वालों का जुलूस निकाल दिया. फिर क्या था पलक भय्यूजी महाराज की भक्त हो गई. यह यहीं नहीं थमा पलक आश्रम जाने लगी और भय्यूजी महाराज से मुलाकात करने लगी. (bhaiyyuji maharaj suicide case verdict)
पत्नी की मौत के बाद पलक ने बढ़ाईं नजदीकियां
इसी दौरान साल 2015 में भय्यू महाराज की पहली पत्नी माधवी की मौत हो गई. पलक भय्यूजी महाराज के काफी करीब आ गई थी, तो पहली पत्नी माधवी की मौत के बाद पलक भय्यूजी महाराज के घर पर ही रुकने लगी. पहले तो वह भय्यूजी महाराज की बेटी कुहू की केयर टेकर बनी. फिर धीर-धीरे महाराज के करीब जाने लगी.
महाराज के खालीपन का पलक ने कैसे उठाया फायदा ?
पत्नी की मौत के बाद भय्यूजी महाराज काफी अकेले हो गए. बेटी कुहू भी पढ़ाई करने पुणे चली गई. ऐसे में भय्यूजी महाराज के अकेलेपन को केयरटेकर और शिष्य पलक भांप गई और उनकी खाली जीवन में एंट्री कर ली. अब महाराज भी पलक में इंटरेस्ट लेने लगे. दुसरों भक्तों की तुलना में पलक को अधिक महत्व मिलने लगा.