इंदौर। एक महिला पुलिस कर्मी ने पांच लोगों को फर्जी तरीके से गैंगरेप के मामले फंसा दिया. उसने महिला थाने में प्रकरण दर्ज करवाया. सात माह न्यायालय में चली सुनवाई में इस महिला पुलिस कर्मी ने कोर्ट में बयान दिया कि उसके साथ ऐसी कोई घटना नहीं हुई. इस पर अपर सत्र न्यायाधीश विवेक कुमार श्रीवास्तव ने असत्य रिपोर्ट करवाने के मामले में फैसला सुनाते हुए महिला पुलिसकर्मी के खिलाफ भादसं की धारा 182, 211 के तहत कार्रवाई किए जाने का आदेश दिया.
न्यायालय ने 7 माह बाद दिया फैसला :महिला पुलिसकर्मी मूलतः नीमच की रहने वाली है. वह इंदौर जिला पुलिस बल में आरक्षक के पद पर तैनात है. 13 सितंबर 2021 को महिला थाना नीमच में महिला पुलिसकर्मी ने रिपोर्ट दर्ज करवाई थी कि पवन पिता पप्पू लौहार निवासी मनासा जिला नीमच से फेसबुक के माध्यम से दोस्ती हुई थी. इसके बाद उसने उसका मोबाइल नंबर लिया. पवन उसके समाज का होने के कारण अक्सर बातचीत होने लगी. वह पवन को पसंद करने लगी. महिला पुलिसकर्मी ने उसके परिजनों से भी पवन को मिलवाया. 9 जून 2021 पवन इंदौर आया और उसके भाई धीरेंद्र का जन्मदिवस मनाने के लिए उसे मनासा ले गया.
रेप करने का आरोप :रिपोर्ट में लिखा था कि वह घर के ऊपर कमरे में कपड़े बदल रही थी, तभी पवन का भाई धीरेंद्र और विजय वहां आ गए और उसके साथ अश्लील हरकत की. इसके बाद चाकू की नोक पर दोनों ने दुष्कर्म किया. यह बात पवन को बताई तो पवन ने भी जान से मारने की धमकी दी. धीरेंद्र और विजय ने शारीरिक संबंध बनाते हुए उसका वीडियो भी बनाया और वीडियो वायरल कर उसे बदनाम करने की धमकी दी गई. उसके पैसे और आभूषण ले लिए.