इंदौर। कुटुंब न्यायालय (indore family court verdict) ने तकरीबन 73 साल की महिला को उसकी पत्नी होने का हक दिलवाया है. वर्षों पहले शादी होने के बाद पति दूसरी जगह शिफ्ट हो गया था. वहीं पत्नी ने भरण-पोषण को लेकर इंदौर के कुटुंब न्यायालय में आवेदन लगा दिया. इस पर सुनवाई करते हुए हुए कोर्ट ने पति को भरण पोषण देने के आदेश दिए.
कोर्ट ने दिया गुजारा भत्ता देने का आदेश
पत्नी का दर्जा पाने के लिए महिला ने 2015 में कुटुंब न्यायालय के समक्ष याचिका पेश की थी. कोर्ट में लगातार इस पूरे मामले की सुनवाई चल रही थी. सुनवाई के बाद कोर्ट ने पीड़िता को न्याय दिलाते हुए पत्नी का दर्जा दिया. वहीं पति को यह फरमान जारी किए हैं कि वह गुजारा भत्ता (indore court verdict for alimony) के तहत 4000 रुपये प्रति माह पीड़िता को दें.
पीड़िता ने कोर्ट में दिखाया राशन कार्ड
कोर्ट में सुनवाई के दौरान पति ने कई तर्क भी प्रस्तुत किए गए. पति ने कोर्ट में यह तर्क दिया कि पीड़िता उसकी पत्नी न होते हुए उसकी बहन थी. पीड़िता ने कोर्ट के समक्ष राशन कार्ड प्रस्तुत करते हुए कई दस्तावेज प्रस्तुत किए. कोर्ट इन दस्तावेंजों पर गौर करने के बाद पीड़िता को न्याय दिलाया.
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1995 में हुई थी शादी
पीड़िता की शादी सन् 1995 के आसपास हुई थी. शादी के कुछ दिनों बाद ही पति पीड़िता को छोड़कर यवतमाल चला गया था. उसके बाद लौट कर नहीं आया. पीड़िता अपने पति की आस में कई सालों से एकाकी जीवन जी रही थी. इस दौरान उसने पति से गुजारा भत्ते की मांग की, तो उसने मना कर दिया. इन सब बातों को लेकर उसने कोर्ट के समक्ष 2015 में याचिका लगाई.