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दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे से निकली प्रदेश के औद्योगिक विकास की राह

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे मध्यप्रदेश के लिए भी खुशियों की सौगात लाया है. उम्मीद है कि इससे मध्यप्रदेश में भी औद्योगिक विकास की रफ्तार तेज होगी. बड़ी कंपनियों ने छोटे शहरों का रूख करना शुरू कर दिया है. रतलाम में भी इसका अच्छा खासा असर देखने को मिल रहा है. राज्य सरकार से जमीन मांगी है लिहाजा मध्य प्रदेश के पिछड़े अंचल में करीब 11000 एकड़ जमीन पर उद्योग स्थापित होने के आसार हैं. संभावना जताई जा रही है कि इससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे.

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Published : Jul 20, 2021, 9:51 AM IST

delhi mumbai expressway
दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस

इंदौर।राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा तैयार किए किए जा रहा है दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे के कारण मध्यप्रदेश में भी औद्योगिक विकास की रफ्तार तेज होने के आसार हैं दरअसल रतलाम से गुजर रहे एक्सप्रेस-वे के निर्माण के पहले ही देश भर की विभिन्न कंपनियों ने रतलाम समेत इंदौर और शाजापुर में उद्योग स्थापित करने के लिए राज्य सरकार से जमीन मांगी है लिहाजा मध्य प्रदेश के पिछड़े अंचल में करीब 11000 एकड़ जमीन पर उद्योग स्थापित होने के आसार हैं जिससे बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर भी लोगों को मिल सकेंगे

मिलेगा रोजगार जब रफ्तार पकड़ेगा एक्सप्रेस वे
प्रदेश में लागू होगा सड़कों का असैट मैनेजमेंट सिस्टम, बैठक में सीएम ने दिए निर्देशमध्य प्रदेश के ऑटोमोबाइल हब पीथमपुर के बाद अब रतलाम, इंदौर और शाजापुर भी बड़े इंडस्ट्रियल और लॉजिस्टिक हब के रूप में विकसित होने जा रहे हैं. दरअसल रतलाम जिले से दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे के गुजरने के बाद देश भर की विभिन्न कंपनियों ने यहां 5000 एकड़ जमीन मांगी है.

लिहाजा उद्योग केंद्र विकास निगम ने इंडस्ट्रियल पार्क और लॉजिस्टिक हब के लिए जमीनों के अधिग्रहण के साथ औद्योगिक रूप से उनके विकास की प्रक्रिया शुरू कर दी है. यह एक्सप्रेस वे मध्य प्रदेश के रतलाम, मंदसौर इलाके के करीब 370 किलोमीटर के दायरे से गुजरेगा.

इससे एक्सप्रेस वे के दोनों ओर लॉजिस्टिक हब और इंडस्ट्रियल पार्क बनाए जाने का रास्ता साफ हो गया है. एकेवीएन ने रतलाम में करीब 5000 एकड़ जमीन पर इंडस्ट्रियल क्लस्टर विकसित करने की तैयारी की है.

ऐसी ही स्थिति नेशनल हाईवे क्रमांक 3 पर मौजूद शाजापुर को लेकर है जहां एकेवीएन (MadhyaPradesh Audyogik Kendra Vikas Nigam) 300 एकड़ में इंडस्ट्रियल पार्क विकसित कर रहा है. इसके लिए भी जमीनों का अधिग्रहण और विकास की प्रक्रिया शुरू की गई है. हाल ही में औद्योगिक केंद्र विकास निगम ने शाजापुर जिला प्रशासन से चर्चा के बाद इंडस्ट्रियल क्लस्टर के लिए जमीन ली है जिस के अधिग्रहण की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है.

माना जा रहा है कि औद्योगिक विकास की दृष्टि से इंदौर और देवास के बाद शाजापुर को भी विकसित किया जा सकता है. इसके अलावा इंदौर के देपालपुर में बड़े पैमाने पर लॉजिस्टिक हब बनाया जाना है. साथ ही यहां राऊ के पास एमएसएमई (MSME) द्वारा फर्नीचर क्लस्टर, कन्फेक्शनरी क्लस्टर और टॉय क्लस्टर पहले से स्वीकृत हैं.

इन सबके लिए भी जमीन और उनके विकास की प्रक्रिया तय कर ली गई है.

इसलिए बन रहा है एक्सप्रेस-वे
दरअसल दिल्ली और मुंबई की दूरी फिलहाल 1450 किलोमीटर के करीब है जो एक्सप्रेस वे बनने के बाद 200 किलोमीटर कम हो जाएगी. फिलहाल इस बार को तय करने में 18 घंटे लगते हैं जिसका समय घटकर करीब 12 घंटे रह जाएगा.

करीब एक लाख करोड़ की लागत वाले भूतल परिवहन मंत्रालय के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के कारण एक्सप्रेस वे के रास्ते में विभिन्न राज्यों के शहरों का औद्योगिक विकास होना तय है.

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे दिल्ली के गुड़गांव से शुरू होकर उत्तर प्रदेश, गुजरात. मध्य प्रदेश. हरियाणा और महाराष्ट्र के पिछड़े और दूरदराज के इलाकों से गुजरेगा. मध्य प्रदेश में यह एक्सप्रेस वे रतलाम से गुजर रहा है. रतलाम के नयापुरा जावरा के सादा खेड़ी से ही नहीं बल्कि मंदसौर और झाबुआ से भी होकर गुजरेगा. तकरीबन 9 हिस्सों में बनने वाले आठ लेन का एक्सप्रेस वे का काम नवंबर 2022 तक पूरा किया जाना है. जिसे करीब 1 लाख करोड़ की लागत से नेशनल हाईवे अथॉरिटी द्वारा तैयार किया जा रहा है.

पोस्ट कोविड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट की डिमांड बढ़ी
कोरोना की भीषण महामारी के बाद अब औद्योगिक विकास की रफ्तार तेज हो रही है औद्योगिक विकास को लेकर जो रुझान सामने आ रहे हैं उसमें मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के अलावा फार्मा और टेक्सटाइल के साथ स्वास्थ्य संबंधी बड़े सेटअप मध्यप्रदेश में स्थापित होने जा रहे हैं.

इसको लेकर नीमच, मंदसौर, रतलाम, आगर, मालवा, देवास, उज्जैन और पीतमपुर के अलावा इंदौर में विकसित और अविकसित औद्योगिक जमीनों की मांग तेजी से बढ़ी है. एकेवीएन के मुताबिक ऐसे ही अधिकांश कंपनियों में फार्मा और स्वास्थ्य सेक्टर की कंपनी हैं जो इंदौर के आसपास अपनी कंपनियां स्थापित करना चाहती हैं. लिहाजा आने वाले दिनों में औद्योगिक विकास प्रत्येक जिले में 8 से 10000 लोगों को रोजगार मिलेगा इसी तरह इंदौर में दो टेक्सटाइल कंपनियों में करीब 8000 लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है.

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