इंदौर। देश में 3 साल पहले हुई नोटबंदी के कारण लोगों की क्रय शक्ति में तो कमी आई ही है इसके अलावा लोग बैंकों में अब अपनी जमा पूंजी जमा भी नहीं कराना चाहते. यही वजह है कि 3 साल पहले की तुलना में 12 प्रतिशत के स्थान पर 26 प्रतिशत लोग बैंक में अपने रुपया जमा नहीं कर रहे हैं इससे न केवल निवेश प्रभावित हो रहा है, बल्कि बाजार से भी रुपया गायब है.
नोटबंदी के दौरान 500 और 1000 के नोट बंद होने से बाजार में 86 फ़ीसदी नकदी बंद होने से देशभर में छोटे उद्योग मंदी और बंद होने की कगार पर आ गए थे. उस समय से आज तक छोटे उद्योग नोटबंदी के कारण हुई मुश्किलों से नहीं उबर पाए हैं. हालांकि हर राज्य सरकारें अपने स्तर पर इन उद्योगों को नोटबंदी की मुश्किलों से उबारने की कोशिश में लगी है.
लोगों का बैंकों से उठ रहा भरोसा
शहर के अर्थशास्त्री जयंतीलाल भंडारी का कहना है कि मोदी सरकार के इस फैसले से इनकम टैक्स देने वाले लोगों की संख्या 18 से बढ़कर 30 प्रतिशत हो चुकी है. दूसरी तरफ आम लोगों का बैंकिंग सिस्टम से भी भरोसा उठ रहा है. एक रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि 3 साल पहले जो लोग मात्र 12 प्रतिशत नगद राशि अपने पास रखते थे अब वे 26 प्रतिशत राशि घर में ही रख रहे हैं. जिससे बैंकों में जमा होने वाली रकम अब आधी भी नहीं बची है.
नोटबंदी से न केवल केंद्र की विकास योजनाएं बल्कि बैंकों में जमा होने वाली राशि पर भी हो रहा है.वहीं निवेश पर भी इसका असर साफ देखायी देता रहा है. इस पर सरकार का दावा है कि नोटबंदी से न केवल मनी लांड्रिंग कम हुई है बल्कि आतंकी फंडिंग में भी कमी आई है.