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53वें प्रांतीय अधिवेशन की शुरुआत, मंत्री मोहन यादव रहे मौजूद

इंदौर शहर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 53वें प्रांतीय अधिवेशन की शुरुआत हुई. इस अधिवेशन में प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद रहे.

53rd province session
53वें प्रांतीय अधिवेशन

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Published : Jan 31, 2021, 3:15 PM IST

Updated : Jan 31, 2021, 4:02 PM IST

इंदौर। शहर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 53वें प्रांत अधिवेशन का शुभारंभ हुआ. इस अधिवेशन में प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल रहे. इस अधिवेशन में 35 शहरों से 800 से अधिक कार्यकर्ता पहुंचे थे. इस दौरान मध्य भारत प्रान्त का निर्वाचन भी हुआ, जिसमें मध्य भारत प्रांत का निर्वाचन किया गया. इसमें मध्य भारत प्रान्त और मालवा प्रांत अलग-अलग हुए, जिसमें मध्य भारत प्रांत के दो हिस्से हुए.

एबीवीपी के मध्य भारत प्रांत के हुए दो हिस्से

ब्रिलिएंट कन्वेंशन सेंटर में आयोजित हुए एबीवीपी के इस प्रांत अधिवेशन में मध्य भारत प्रांत को दो हिस्सों में बांटा गया. मध्य भारत प्रांत का केंद्र भोपाल किया गया है, तो वहीं अब से मालवा प्रांत का केंद्र इंदौर किया गया है. एबीवीपी का अभी तक मध्य भारत केंद्र हुआ करता था, जिसका केंद्र भोपाल था. इन्हें मिलाकर मध्य प्रदेश में तीन प्रांत हो गए हैं.

विद्यार्थी परिषद के अधिवेशन को संबोधित करते हुए उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि मेरे सामने भी विद्यार्थी परिषद में कई बदलाव हुए. मैं जब अलग-अलग पदों पर रहा, तो कई प्रांतों का निर्माण हुआ. आज फिर प्रांत का निर्माण हो रहा है.

उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि परिषद के भाव में परिवार भाव भी है. इसलिए परिषद से जोड़ना भी जरूरी है. मोहन यादव ने कहा कि मैं जब पहली बार छात्र संघ का प्रतिनिधि बना, तो मुझे ध्यान आया कि कॉलेज में विवेकानंद की प्रतिमा नहीं है. ब्लेजर के पैसे से हमने स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा लगवा ली.

मोहन यादव, उच्च शिक्षा मंत्री

उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि कोरोना काल के दौरान जब हमने अधिकारियों से परीक्षा आयोजित करवाने की बात कहीं, तो सब ने मना कर दिया, लेकिन जब विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने परीक्षा आयोजित करवाने के लिए कहा, तो प्रदेश में परीक्षा आयोजित की गई.

2035 में विश्वविद्यालय स्तर में हो सकता है बदलाव

उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने कहा कि 2035 में विश्वविद्यालय स्तर में बदलाव किया जाए. इसका मतलब यह नहीं कि विश्वविधालय की शिक्षा खत्म कर दी जाए, बल्कि महाविद्यालय की शिक्षा का स्तर बढ़ाया जाए. इसके लिए आने वाले समय में विद्यार्थी परिषद से बात करके शिक्षा नीति को बदला जाएगा.

उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षा नीति में धन के प्रभाव को समाप्त किया जाएगा. वर्तमान में संक्रमण का दौर जारी है. ऐसे में अलग-अलग स्तर पर चल रहे विश्वविद्यालयों को एक छत के नीचे लाने का प्रयास किया जाएगा. मंत्री ने कहा कि प्रदेश में कॉलेजों में परीक्षाएं जरूर आयोजित कराई जाएंगी. हालांकि इसमें देरी हो सकती है.

Last Updated : Jan 31, 2021, 4:02 PM IST

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