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खतरे में इंदौर की सैकड़ों साल पुरानी परंपरा, आर्थिक संकट से जूझ रहे मजदूर

इंदौर में 100 साल से अधिक पुरानी इस परंपरा को जिंदा रखने के लिए इंदौर के मजदूर संघर्ष कर रहे हैं.

इंदौर की सैकड़ों साल पुरानी इस परंपरा पर मंडराया आर्थिक संकट

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Published : Aug 26, 2019, 8:09 PM IST

इंदौर। शहर की 100 साल पुरानी परंपरा को जीवित रखने के लिए शहर के मजदूर आज भी संघर्षरत हैं. इंदौर में अनंत चतुर्दशी के दिन शहर के मजदूरों द्वारा बनाई गई झांकियों का चल समारोह निकाला जाता है, लेकिन अब ये चल समारोह आर्थिक संकट से जूझ रहा है. मजदूर अपनी इस परंपरा को बचाने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं.

इंदौर की सैकड़ों साल पुरानी इस परंपरा पर मंडराया आर्थिक संकट


इंदौर में कई उत्सव धूमधाम से मनाए जाते हैं, लेकिन उन उत्सवों में सबसे अधिक चर्चाओं में अनंत चतुर्दशी का चल समारोह रहता है. चतुर्दशी के दिन निकलने वाले चल समारोह को देखने के लिए पूरे देश के कोने- कोने से लोग इंदौर पहुंचते हैं. 100 साल से अधिक पुरानी इस परंपरा को जिंदा रखने के लिए इंदौर के मजदूर संघर्ष कर रहे हैं. हालांकि प्रदेश के पीडब्ल्यूडी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने मजदूरों को जरूर आश्वासन दिया है कि समय रहते सरकार उनकी हर संभव मदद करेगी, लेकिन 15 दिन पहले तक मजदूरों को किसी प्रकार की मदद ना मिलना उनके सामने चुनौतियां खड़ी हो गई हैं.


एक झांकी को बनाने में लगभग 5 से 6 लाख का खर्च आता है. मिल मजदूरों के सामने सबसे अधिक चुनौती इस खर्च के लिए एकत्रित की जाने वाली राशि ही होती है. बताया जाता है कि पहले यह झांकियां बैल गाड़ियों पर निकाली जाती थी, जिन्हें की अलग-अलग मिल के मजदूर बनाते थे और मिलों के नाम पर ही झांकियों के नाम रखे जाने की परंपरा को आज भी अपनाते हैं. बंद हो चुकी मिलों के मजदूरों का हौसला टूट चुका है.

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