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कोरोना स्ट्रेन की जांच के लिए इंदौर से दिल्ली भेजे जाएंगे 100 सैंपल

इंदौर में संक्रमितों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. पिछले कुछ दिनों से संक्रमितों की संख्या कम 100 के पार पहुंच गई है. जिसके बाद वायरस की जांच के लिए मरीजों के सैंपल दिल्ली स्थित लैब मेंं जांच के लिए भेजे जा रहे हैं.

Coronavirus Research
कोरोना वायरस की जांच

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Published : Feb 21, 2021, 11:41 AM IST

इंदौर।मध्यप्रदेश के इंदौर जिले में एक बार फिर कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ने की आशंका जताई जा रही है. संक्रमण की वजह कोरोना का नया स्ट्रेन हो सकता है. लिहाजा अब जांच के लिए इंदौर से 100 मरीजों के सैंपल दिल्ली भेजे जा रहे हैं.

कोरोना से ठीक हो चुके मरीज फिर संक्रमित !

इंदौर में कोरोना संक्रमण के दौरान वायरस के आरएनए में लगातार हो रहे बदलाव (म्यूटेशन) के कारण ठीक हो चुके मरीजों में भी फिर से संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं. लिहाजा वायरस की जांच के लिए शहर के अलग-अलग अस्पतालों में मिले मरीजों के सैंपल दिल्ली स्थित लैब मेंं जांच के लिए भेजे जा रहे हैं. जांच में पता लगाया जाएगा कि नया वायरस कोरोना का स्ट्रेन है या नहीं. जिससे कि मरीजों के इलाज को लेकर नए सिरे से रणनीति तय की जा सके.

कोरोना के केस मिलने पर स्वास्थ्य विभाग की बैठक

केरल, महाराष्ट्र, पंजाब, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश में कोरोना के मामलों में वृद्धि

नहीं टला अभी कोरोना का खतरा

गौरतलब है कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके मरीजों को हो रही परेशानी और अन्य बीमारियों के मामले बढ़ने के चलते इस तरह की कवायद की जा रही हैं. इसके अलावा एमवाय अस्पताल में ऐसे तमाम मरीजों के मामलों की डाटा मैपिंग भी की जा रही हैं. बैठक में एमवाय अस्पताल में आयोजित बैठक में संभागायुक्त डॉ. प्रमोद शर्मा ने कहा कि कोविड वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए हम सभी का सतर्क एवं सजग रहना आवश्यक हो गया है. उन्होंने कहा कि कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है. इसलिए सतर्कता, संयम एवं सहयोग-3 एस के सिद्धांत का पालन अनिवार्य रूप से करते हुए सभी व्यक्ति मास्क एवं सैनेटाइजर का प्रयोग और सोशल डिस्टेंसिंग के मानकों का पालन नियमित करते रहें.


स्ट्रेन और वायरस के डीएनए का परीक्षण

जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिए वायरस के डीएनए का अध्ययन किया जाता है. इसके जरिए डीएनए में मौजूद चार तत्व एडीनीन, थायमिन, साइटोसिन और गुआनिन के क्रम का पता लगाया जाता है. इस विधि से संबंधित मरीज की बीमारी का मूल कारण उसका समय इलाज और भविष्य में होने वाली तकलीफ का पता लगाया जा सकता है.

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