होशंगाबाद।लॉकडाउन के चलते सब्जी और फल उत्पादक किसान काफी परेशान हैं. किसानों को उचित दाम नहीं मिलने से नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. वहीं खेत में लगी फसल को बाजार न मिलने से सड़ने पर भी काफी नुकसान हो रहा है. होशंगाबाद जिले में तरबूज की खेती को ज्यादा नुकसान हुआ है. प्रकृति ने साथ दिया तो किसान की मेहनत रंग लाई और पैदावार बंपर हुई है, लेकिन अब बाजार न मिलने से फसल खेत में ही सड़ रही है.
होशंगाबाद के जिन तरबूजों को लेने के लिए तरसता था प्रदेश, आज हालत की आप भी देखिए तस्वीर - Watermelons rot due to lockdown
लॉकडाउन के चलते सब्जी और फल उत्पादक किसान काफी परेशान हैं. किसानों को उचित दाम नहीं मिलने से नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. जिले में तरबूज की खेती को ज्यादा नुकसान हुआ है.
![होशंगाबाद के जिन तरबूजों को लेने के लिए तरसता था प्रदेश, आज हालत की आप भी देखिए तस्वीर Watermelons rot in the fields due to lockdown](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/768-512-7114908-thumbnail-3x2-i.jpg)
होशंगाबाद की बाबई क्षेत्र में तवा नदी के किनारे मनवाड़ा गांव के किसानों को भी लॉकडाउन का सामना करना पड़ रहा है. गांव के युवा किसान शुभम कीर ने बताया कि तवा किनारे तरबूज खरबूज की खेती लगभग 4 माह पहले की थी, फसल भी अच्छी आई. लेकिन इस महामारी ने बिना मंडी के फसल खराब कर दी.
4 महीने से दिन रात की थी मेहनत
तवा और नर्मदा नदी के रेत में फलता फूलते तरबूज और खरबूज की फसल जिसके लिए पिछले 4 महीने से दिन रात मेहनत में लगे किसान की फसल तैयार होने से ठीक पहले लॉकडाउन लग गया है. खेतों में खड़ी फसल के लिए मंडियों का व्यापार भी नही मिल सका. ना ही बिचौलिए खेतों तक पहुंच सके. जिसका असर तरबूज की बिक्री पर पड़ा. अब खेतों में ही लगी फसल बर्बाद हो रही है जिसका असर किसान की आर्थिक स्थिति पर पड़ा है.
होशंगाबाद में प्रसिद्ध है तरबूज
होशंगाबाद के तरबूज-खरबूज बहुत ही लोकप्रिय हैं जो प्रदेश में ही नहीं प्रदेश से बाहर भी सप्लाई होता है. विशेष रुप से महाराष्ट्र इसकी विशेष मांग होती है. लेकिन लॉकडाउन के चलते फैले पैनिक के कारण सभी बड़ी मंडियां बंद पड़ी हुई हैं साथ ही ट्रांसपोर्ट सिस्टम भी बंद हैं जिसका सीधा सा असर इसके विक्रय पर पड़ रहा है
उपभोक्ताओं की जेब पर सीधा असर
होशंगाबाद की मंडी में सीजन में 100 से डेढ़ सौ गाड़ियां तरबूज की आती थीं, अब वो महज 80 गाड़ियों तक सीमित रह गई हैं. थोक मंडी में 1 से 3 रुपये प्रति किलो बिकने वाला तरबूज अब 5 से 10 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. जबकि फुटकर मंडी में लोगों को 15 से 20 रुपये प्रति किलो तरबूज खरीदना पड़ रहा है. जिसका उपभोक्ताओं की जेब पर सीधा असर पड़ रहा है.