होशंगाबाद। कोरोना से पीड़ित मरीजों में निमोनिया के संक्रमण को कम करने के लिए जरूरी समझे जाने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी से कुछ दिन पहले तक पूरा देश जूझ रहा था. इसके नकली वर्जन को पीड़ित मरीजों के परिजनों को बेचने और असली रेमडेसिविर के कालाबाजारी की कई घटनाएं सिर्फ मध्य प्रदेश नहीं बल्कि देश में देखने को मिली है. इन सबसे अलग अब दावा किया जा रहा है कि इस इंजेक्शन का विकल्प हर गांव और घर में उपलब्ध है, बस उसे समझने की जरूरत है.
प्रकृति और घरेलू चिकित्सा के जानकार योगेंद्र पाल सिंह सोलंकी ने यह दावा किया है कि इंजेक्शन के विकल्प में देश के हर गांव हर घर में उपलब्ध है. उन्होंने दावा करते हुए बताया कि घरों में भृंगी ततैया मिट्टी का घर बनाती है, इसकी मिट्टी को शहद में मिलाकर सेवन करने से निमोनिया का घरेलू इलाज लंबे समय से ग्रामीण क्षेत्रों में किया जा रहा है.
दावे के पीछे क्या है तर्क
'भृंगी' ततैया की गीली मिट्टी पर बार-बार डंक मारने और लार के प्रयोग से एंटीबायोटिक बन जाता है. बढ़ते निमोनिया के इलाज के लिए यह एक रामबाण इलाज है. उन्होंने इसका वैज्ञानिक आधार बताते हुए कहा कि अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिलवेनिया के पैटर्न में स्कूल ऑफ मेडिकल के शोधकर्ताओं ने ततैया के जहर से एक नया एंटीबायोटिक तैयार किया था. इस आधार पर अमेरिकी वैज्ञानिकों ने ततैया के जहर से एंटीमाइक्रोबॉयल विकसित किए हैं, जो निमोनिया को ऐसे बैक्टीरिया को खत्म करता है। जिस पर दबाव का असर नहीं होता।
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