होशंगाबाद। भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने गुरुवार को Tokyo Olympics 2020 में शानदार खेल का प्रदर्शन कर 41 साल बाद कांस्य पदक अपने नाम किया. भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने जादुई खेल दिखाकर 5-4 से चार बार की चैम्पियन जर्मनी की टीम को शिकस्त दी. भारतीय टीम की इस उपलब्धि से पूरा देश सहित होशंगाबाद में खास जश्न का माहौल है. होशंगाबाद के बेटे विवेक सागर के गृह ग्राम चांदोन में गुरुवार सुबह से ही पदक जीतने की उम्मीद से गांव वाले विवेक के घर पर मैच देखने इक्ट्ठा हो गए. जीत के बाद दिनभर पूरे ग्रामीणों ने जश्न मनाया.
ओलंपिक के महत्वपूर्ण मैच में अर्जेंटीना को अहम मुकाबले में भारत ने अर्जेंटीना पर 3-1 से जीत दर्ज की थी. जिसमें विवेक सागर की अहम भूमिका रही थी. इस मैच में मिडफील्डर रहे विवेक ने एक गोल दागकर भारत को क्वार्टर फाइनल में पहुंचाने का महत्वपूर्ण योगदान दिया था. जिसके बाद गुरुवार को जर्मनी को हराकर टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने में भी विवेक ने अहम भूमिका निभाई.
विवेक का ओलंपिक तक पहुंचने का सफर इतना आसान नहीं था. हॉकी की प्रैक्टिस के दौरान विवेक की कंधे की हड्डी टूट गई थी. जिसके कारण विवेक को जूनियर वर्ल्ड कप में खेलने का मौका नहीं मिला. इतना ही नहीं हड्डी के इलाज के दौरान विवेक की आंत में छेद हो गया था. डॉक्टरों ने विवेक की उम्मीद छोड़ दी थी. इतना कुछ हो जाने के बाद भी विवेक ने हार नहीं मानी. लगभग एक माह तक अस्पताल में रहने के बाद विवेक ने वापसी करते हुए फिर से इंडिया टीम में जगह बनाई और आज देश को मेडल दिलाने में महत्वपुर्ण भूमिका निभाई. जानिए विवेक की ओलंपिक में तक पहुंचने की कहानी...
12 वर्ष में पता चली विवेक की प्रतिभा
विवेक के पिता रोहित सागर प्रसाद ने बताया कि विवेक की प्रतिभा करीब 10-12 साल में पता चली. एक टूर्नामेंट में उसका खेल काबिले तारीफ रहा, जिसकी खूब चर्चा हुई थी. इससे पहले विवेक के खेल के बारे में कभी ध्यान नहीं दिया. क्योंकि विवेक प्रैक्टिस में आता जाता रहता था, हमें लगता था कि खेल रहा है खेलने दो. विवेक ने 7 साल की उम्र में ही लोकल ग्राउंड में खेलना शुरू किया. वहीं ग्रामीण क्षेत्र में खेल की समस्या को लेकर पिता ने बताया कि गांव देहात के बच्चे फैक्ट्री के ग्राउंड में खेलते हैं.
जब जूनियर वर्ल्ड कप में जाने का सपना टूटा
विवेक जब पहल इंडिया कैंप सेलेक्ट होकर आया था, तो प्रैक्टिस करते समय उसकी कॉलर बोन टूट गई थी. कॉलर बोन टूटने के कारण जूनियर वर्ल्ड कप में खेलने का उसका सपना टूट गया. इस दौरान दवा की अधिकता से विवेक के पेट की आंतों में छेद हो गया. जिससे उसका पूरा खाना पेट में निकलकर आने लगा था, जिसके कारण पेट में बहुत दर्द बना रहने लगा. एकेडमी से संबंधित डॉक्टर ने हमें बताया कि विवेक की कंडीशन बहुत खराब है. हो सकता है ऑपरेशन करना पड़े.
19 दिनों तक ग्लूकोस और दवाओं पर जिंदा था विवेक