होशंगाबाद।श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर लक्कड़गंज इटारसी में नासिक के त्रयम्बकेश्वर ज्योर्तिलिंग का पूजन एवं अभिषेक हुआ. यजमान सुरेंद्र राजपूत-मीना राजपूत और शैलेंद्र दुबे के द्वारा त्रयम्बकेश्वर ज्योर्तिलिंग के पार्थिव स्वरूप का पूजन और रूद्राभिषेक किया गया. मुख्य आचार्य पं. विनोद दुबे ने कहा कि नासिक के पास त्रयम्बक नगर है. इस त्रयम्बकेश्वर मंदिर का निर्माण नाना साहिब पेशवा ने करवाया था. यहां प्रति सोमवार को भगवान भोलेनाथ की पालकी निकाली जाती है. पुराने राजा महाराजाओं ने भगवान के सिर का मुकुट और रथ भी प्रदान किया था. इसी स्थान पर 12 साल में कुंभ का विशाल मेला लगता है. जहां दुनियाभर के श्रद्धालु आते हैं.
पं. दुबे ने कहा कि त्रयम्बक नगर समुद्री सतह से 2500 फीट की ऊंचाई पर बसा हुआ है. यह पवित्र तीर्थ पर्यावरण की दृष्टि से बहुत उपयुक्त स्थान पर है. मंदिर के चारों ओर पत्थरों के खंभों पर सुंदर नक्कासी का काम किया गया है. मुख्य मंदिर के सामने नंदी का भी एक मंदिर है. प्रति सोमवार को इस ज्योर्तिलिंग की पालकी बड़े गाजे बाजे और ठाट बाट के साथ कुशावर्त तीर्थ जाकर वापस आती है. त्रयम्बकेश्वर ज्योर्तिलिंग में संतान प्राप्ति के लिये अनुष्ठान किया जाता है. इस ज्योर्तिलिंग के बारे में कहा जाता है कि त्रयम्बकेश्वर दसवें ज्योर्तिलिंग के रूप में स्थापित हैं.
इस ज्योर्तिलिंग से कभी-कभी सिंह की दहाड़ सुनाई देती है और कभी-कभी आग की दिव्य ज्वालायें भी निकलती हैं. इस ज्योर्तिलिंग से अहिल्या के पति महर्षि गौतम की कथा भी जुड़ी हुई है. पं. दुबे ने कहा कि जब एक बार इस क्षेत्र में 100 सालों तक बारिश नहीं हुई तब महर्षि गौतम ने तप किया इंद्र के प्रताप से इस क्षेत्र में भारी बारिश हुई. नासिक पूरे देश में काल सर्प योग की शांति के लिए जाना जाता हैं. यहां कालसर्प योग समाप्ति हेतु विशेष पूजन अर्चन किया जाता है एवं संतान प्राप्ति के लिए भी यहां पर विशेष अनुष्ठान होता है. त्रयम्बकेश्वर में शिवलिंग अकेला नहीं है, जलहरि में गड्डा है और शंकर ब्रह्मा विष्णु रूपी तीन लिंग हैं इन्हें ही त्रयम्बकेश्वर कहते हैं.
इस जगह की खासियत यह है कि केवल शंकर के लिंग पर प्रकृति का पानी चौबीस घंटे बहता रहता है. श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर में महिलाओं एवं पुरूषों ने भगवान त्रयम्बकेश्वर अभिषेक कर पुण्य लाभ प्राप्त किया. श्रीदुर्गा नवग्रह मंदिर ने कम समय में प्रतिष्ठा अर्जित की है और यहां पर हिंदुओं के पवित्र धार्मिक आयोजन होते रहते हैं. इस मंदिर के आयोजनों की विशेषता यह है कि किसी भी धार्मिक कार्यक्रम के लिए चंदा गड्डी बाजार में नहीं चलती है. ज्योर्तिलिंग अभिषेक के लिए श्रद्धालु उपस्थित हुए और भगवान भोलेनाथ का वेलपत्री, धतुरा और भांग से अभिषेक किया. मुख्य आचार्य पं. विनोद दुबे के साथ पं. सत्येन्द्र पांडे एवं पं. पीयूष पांडे ने पूजन एवं अभिषेक कराया.