होशंगाबाद।कहां बेहतरीन करियर ग्राफ वाली शानदार सरकारी नौकरी और कहां खेती! अगर आप किसी से पूछे कि क्या वह अपनी प्रतिष्ठित सरकारी सिविल इंजीनियर की नौकरी छोड़ खेती करेगा तो शायद उसका जबाब 'ना ' ही होगा, लेकिन होशंगाबाद के अमित ऐसा शख्स है, जिन्होंने अपनी मन की सुनते हुए सिविल इंजीनियर की नौकरी छोड़कर खेती को अपनाया. अमित ने कुछ हटकर देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए खेती के जरिए कामयाबी की नई इबारत लिखी. कुछ अलग करने की चाह उसे मोती की खेती की ओर ले गई, जो अब लाखों का सौदा बन रही हैं.
सरकारी सिविल इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ बना किसान
होशंगाबाद के अमित बकोरिया इंजीनियर की डिग्री कर एमपी के रूलर रोड डेवलपमेंट अथॉरिटी में सिविल इंजीनियर के पद पर तैनात थे, जहां से अमित ने आरामदायक सरकारी नौकरी को छोड़ कुछ अलग करने की ठान ली. जिसके बाद पुश्तैनी सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के मढ़ई क्षेत्र के पास कामठी गांव में पिता के द्वारा सालों पहले खुदवाए तालाब में पानी के ऊपर खेती करने का प्रयास किया. अमित ने खुद के साथ अन्य किसान साथियों को भी आत्मनिर्भर बनने के लिए मोती की खेती की.
देश को आत्मनिर्भर बनाने का किया प्रयास
अमित के चीन में मौजूद दोस्तों से मालूम हुआ कि चीन में मोती की खेती होती है और बड़ी मात्रा में भारत चीन से मोती आयात करता है. ऐसे में अमित ने भारत में मोती का उत्पादन कर देश की मदद करने के उद्देश्य से सिविल इंजीनियर की नौकरी छोड़ सीप से मोती बनाने की खेती करना शुरू कर दिया, जो अब भारत की मोती की उत्पादन के क्षेत्र में आत्म निर्भर करने की मुहिम में अहम भूमिका निभा रहे हैं. अमित 12 से 15 महीने में सीप से मोती निकलकर आ जाता है, जिसके पति पत्नी मिलकर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व आने वाले टूरिस्ट को इसके बनने वाले आभूषण सहित ऑनलाइन मार्केट के माध्यम से बेच देते है. अमित पिछले 4 सालों से मोती की खेती कर इससे तकरीबन 1 एकड़ से 8 से 10 लाख रूपए का मुनाफा निकल लेते है.