होशंगाबाद।ज्योतिषशास्त्र के अनुसार 21 जून 2020 रविवार आषाढ़ अमावस्या को वलयाकार सूर्य ग्रहण मृगशिरा एवं आद्रा नक्षत्र और मिथुन राशि में लगेगा. जो भारत में अधिकांश भागों में पूर्ण रूप से दिखाई देगा.
ज्योतिषाचार्य आचार्य शिव मल्होत्रा यह सूर्य ग्रहण साल 2020 का पहला एवं बड़ा सूर्य ग्रहण होगा. इस समय का गोचर देखें तो सूर्य देव को ग्रहण लगा है. चंद्रमा अस्त है और मंगल को छोड़कर सभी ग्रह वक्री स्थिति में हैं. इस ग्रहण से आपदा, हिंसा, युद्ध, आगजनी घटना और डॉक्टर को परेशानी, शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा उलटफेर हो सकता है. मानव जाति इस वैश्विक महामारी कोविड-19 से भयभीत और परेशान रहेगी.
सूर्य ग्रहण का समय
- सूर्य ग्रहण का प्रारंभ दिन में 09:53 बजे शुरू होगा.
- इसका मध्यकाल दिन में 11:54 को होगा.
- मोक्ष काल दोपहर 01:55 बजे होगा.
ग्रहण का सूतक काल
सूर्य ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले 20 जून रात 9:53 से ही सूतक लग जाएगा. जो 21 जून दोपहर 01:55 तक रहेगा.
सूर्य ग्रहण से किन राशियों पर क्या असर पड़ेगा
- मेष, सिंह, कन्या,मकर,कुंभ राशि के लिए यह सूर्य ग्रहण शुभ फलदाई रहेगा.
- वृषभ, तुला, धनु राशि के लिए यह सूर्य ग्रहण मध्यम फलदाई रहेगा.
- मिथुन, कर्क, वृश्चिक, मीन राशि वालों के लिए सूर्य ग्रहण हानिकारक रहेगा.
ग्रहण काल में क्या नहीं करें
ग्रहण के समय तेल लगाना, भोजन करना, जल पीना, सोना, बाल बनाना, संभोग करना, मंजन करना, कपड़े धोना, ताला खोलना आदि नहीं करना चाहिए.
ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ना चाहिए. सिलाई कढ़ाई बुनाई सब्जी काटना वर्जित है. स्कंद पुराण के अनुसार, ग्रहण के अवसर पर दूसरे का अन्न नहीं खाना चाहिए. ग्रहण के समय कोई भी शुभ या नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए.
ग्रहण काल में क्या करें
- ग्रहण लगने से पूर्व स्नान करके भगवान का पूजन, यज्ञ और जप करना चाहिए.
- चंद्रग्रहण में किया गया पुण्यकर्म (जप, ध्यान, दान आदि) एक लाख गुना और सूर्य ग्रहण में दस लाख गुना फलदायी होता है. ग्रहण के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा इच्छा अनुसार कोई भी मंत्र अवश्य करना चाहिए. ग्रहण समाप्त हो जाने पर स्नान करके उचित व्यक्ति को दान करने का विधान है. ग्रहण के बाद पुराना पानी और अन्न नष्ट कर देना चाहिए. नया भोजन पकाया जाता है और ताजा पानी भरकर पीया जाता है. सूर्य या चन्द्र ग्रहण पूरा होने पर उसका शुद्ध बिम्ब देखकर ही भोजन करना चाहिए.ग्रहण काल में स्पर्श किए हुए वस्त्र आदि की शुद्धि के लिए उसे बाद में धो देना चाहिए और स्वयं भी स्नान करना चाहिए. ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरत मंदों को वस्त्र दान देने से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है.