होशंगाबाद। हम आज विज्ञान के सहारे प्रगति के ऐसे दौर में हैं. जहां हमारे पास हर सुख सुविधा मौजूद है और विज्ञान ने हमारा जीवन सुखदायी बना दिया है. आज हम चांद और मंगल ग्रह से लेकर अंतरिक्ष तक की यात्रा बिना किसी संदेह के आसानी से कर लेते हैं, लेकिन हजारों-लाखों साल पहले एक समय ऐसा भी था जब हमारे पूर्वज यानि (आदिमानव) मानव सभ्यता के विकास के दौर से गुजर रहे थे. जहां हर काम कठिन था. आदिमानव के दौर की कुछ निशानियां आज भी मौजूद है. लेकिन इन निशानियों की देखरेख न होन की वजह से वे विलुप्त होने की कगार पर हैं.
8 हजार साल पुराने शैलचित्र, 22 गुफाओं में हैं मौजूद
होशंगाबाद जिले में आदमगढ़ की पहाड़ियों पर आठ हजार साल पहले के आदिमानव की सभ्यता के निशान के रूप में बड़ी संख्या में पुरापाषाकालीन शैलचित्र (रॉक पेंटिंग) मौजूद हैं. यहां बड़ी-बड़ी करीब 80 गुफा मौजूद हैं. जिसमे करीब 22 गुफा में शैलचित्र बने हुए हैं. जो सभ्यता सहित प्राकतिक रंगों से बने इतिहास को दिखाते हैं. यहां बिखरीं पड़ीं धरोहरें इतिहास के कालखंडों के रहस्यों को अपने गर्भ में छिपाए हैं. ये शैलचित्र यहां की प्राचीन शैली के गवाह हैं, पर संरक्षण के अभाव में विलुप्त होने के कगार पर है.
कुछ सालों मे मिटने की कगार पर शैलचित्र
शैलचित्रों का इतिहास ऐतिहासिक काल का रहा है. जिस दौरान आदिमानव काल की जीवन शैली युद्ध सहित शिकार करने की पद्धति शैलचित्र के माध्यम से बताई गई हैं. 8 हजार साल पुराने ये शैलचित्र अब पिछले दो दशकों में समय के साथ मिटते जा रहे हैं. जिसमें कई शैलचित्र मिट भी चुके हैं. साथ ही कुछ लगातार धूमिल हो चुके हैं.
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