होशंगाबाद।आधुनिक युग में खेती करने के तरिके भी मॉडन होते जा रहे है. आपने फलों और सब्जियों को खेत की मिट्टी या गमलों में उगते हुए देखा होगा, लेकिन अगर हम आपको कहे की बिना मिट्टी की भी खेत की जा सकती है तो शायद आप विश्वास नहीं करेंगे. इस तरिके को हाइड्रोपोनिक सिस्टम कहते है. हाइड्रोपोनिक्स विधि में बिना मिट्टी के खेती की जाती है. इसमें खास बात यह भी है कि परंपरागत खेती की तुलना में इस विधि से खेती करने में पानी भी कम लगता है.
हाइड्रोपोनिक सिस्टम से खेती हाइड्रोपोनिक सिस्टम से खेती करने का एक बहुत बड़ा फायदा यह है कि इस में जैविक खाद का उपयोग किया जाता है. इस विधि से उगाई गई सब्जियां और फल आपकी सेहत के लिए भी फायदेमंद होगी. होशंगाबाद के ईटारसी में उद्यानिकी विभाग से रिटायर्ड कमल सिंह तोमर भी हाइड्रोपोनिक सिस्टम से अपने घर की छत पर खेती कर रहे है. कमल सिंह तोमर अपने छत पर विभिन्न तरह की सब्जियां और फल उगा रहे है. जिसका उपयोग वह स्वयं के घर के लिए करते है. कमल सिंह का कहना है कि रिटायरमेंट के बाद अपने हॉबी के तौर उन्होनें हाइड्रोपोनिक सिस्टम से खेती करना शुरु किया था.
हाइड्रोपोनिक सिस्टम से उगा रहे फल और सब्जियां
कमल सिंह तोमर बताते हैं कि हाइड्रोपोनिक सिस्टम एक ऐसी प्रणाली है, जहां पौधों को मिट्टी के अलावा जैविक खाद से उगाया जाता है. सभी पोषक तत्व सिंचाई के पानी में मिलाए जाते हैं. एक बार बीज लगाकर सिंचाई से ही पौधे को नियमित आधार पर पोषक तत्व की आपूर्ति की जाती है. जिसमें कोकोपिट, परलाईट, वर्मीपोलाईट का उपयोग किया जाता है. प्लांट तैयार करने के बाद वाटर सरकुलेशन तैयार कर फलों और सब्जियों का उत्पादन किया जाता हैं. कमल सिंह तोमर का कहना है कि पिछले 2 साल से इस पर लगातार काम कर रहे है. अभी तक इस तकनीक से ककडी,टमाटर,शिमला मिर्च उगा चुके है. किचन, टेरेस गार्डन, बालकनी ,खिड़की, लिविंग रूम में थर्माकोल प्लास्टिक के डिब्बों और बाल्टीओ में फल फूल और सब्जियां उगाई जा सकती है.
हाइड्रोपोनिक सिस्टम अपना रहे लोग
कमल सिंह तोमर ने संभाग का पहला हाइड्रोपोनिक सिस्टम से खेती शुरू की है. जिसकी 2 साल की सफलता के बाद कमल सिंह तोमर ने इटारसी के कुछ घरों में इस सिस्टम से खेत करना सिखा रहे है और इसे लोग पसंद भी कर रहे है. मेट्रो सिटी में बहुमंजिला घरों में रहने वाले लोगों के लिए हाइड्रोपोनिक सिस्टम एक अच्छी और सस्ती व्यवस्था है. जिसमें वह कम खर्चे में घरों में ही शुद्ध जैविक खेती कर घर के लिए सब्जी और फल उगा सकते हैं.
वहीं, असिस्टेंट प्रोफेसर आशीष शर्मा बताते है कि इस तकनीक को फ्यूचर फार्मिंग कहा जाता है, लगातार बढ़ते शहर और घटती खेतों की संख्या में बहू मंजिला घरों की छतों पर बिना मिट्टी के इस तकनीक से खेती की जा सकती है. असिस्टेंट प्रोफेसर इस खेती का कम होने का कारण इसके तकनीकी ज्ञान को मानते है. क्योकि इसमें पोषक तत्वों का घोल दिया जाता है. इसमें मात्रा के अनुसार पीएच, ईसी और पोषक का अनुपात हर फसल के अलग अलग होता है. जिसके के लिये ट्रैनिंग लेना आवश्यक होता है. जिसके चलते कम ही लोग इस में रुचि लेते है.