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लॉकडाउन ने बिगाड़ा रसोई का बजट, बेरोजगारी के बाद महंगाई की मार

एमपी के होशंगाबाद में कोरोना काल ने आम आदमी की रसोई का बजट बिगाड़ दिया है. सब्जी, दाल, खाद्य तेल एवं अन्य सामान के दामों में पहले से काफी बढ़ोतरी हो गई है.

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Published : Apr 16, 2021, 5:46 PM IST

Inflation
महंगाई

होशंगाबाद। लॉकडाउन के बाद आज हर व्यक्ति को महंगाई का सामना करना पड़ रहा है. सब्जी, दाल के बाद अब रसोई का बजट तेल ने बिगाड़ दिया है. महंगाई का आलम ये है कि दिसंबर से लेकर अब तक खाद्य तेल में 35 से 40 रुपये प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी हो गई है. सरसों का तेल दिसंबर में लगभग 100 रुपये प्रति लीटर तक फुटकर दाम में मिला करता था, जो अब 140 रुपये तक जा पहुंचा है. वहीं सोयाबीन के तेल की कीमत में भी भारी उछाल देखने को मिल रहा है. कोरोना महामारी के पहले तक 80 से 85 रुपये प्रति लीटर मिलने वाला सोयाबीन तेल अब 130 से 135 रुपए प्रति लीटर तक मिल रहा है. तेल के दामों में प्रतिदिन उछाल देखने देखा जा रहा है. जिसके कारण आम नागरिक के घर का बजट बिगड़ गया है. व्यापारियों के अनुसार अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार की परिस्थितियों के साथ सोयाबीन की फसल में हुए नुकसान भी दामों की बढ़ोतरी का कारण है.

लॉकडाउन में बढ़ी महंगाई.

दाल, तेल और गैस-सिलेंडर भी महंगे
पांच सदस्यीय परिवार में हर महीने पांच से छह लीटर खाद्य तेल, 2 से 3 किलो दाल और हर 45 दिन में एक गैस सिलेंडर लगता है. पहले जो काम 1000 रुपये के बजट में महीने भर हो जाता था अब वहां 1500 से 1800 रुपये के बजट में बैठ रहा है. साथ ही सब्जी का बजट भी 2000 रुपये तक आसानी से पहुंच जाता है. यदि दूध के दामों पर बात करें तो डेयरी में गाय का दूध 50 रुपये प्रति लीटर और भैंस का दूध 60 रुपए प्रति लीटर के करीब बिक रहा है.

सब्जी, आटा भी हुआ महंगा
कुछ माह पूर्व आसमान छू रहे सब्जी के दाम अब स्थिर हैं लेकिन दाल, तेल, गैस व दूध के साथ बढ़ती महंगाई के कारण सब्जी अभी भी आम नागरिक की थाली से दूरी बनाए हुए है. महंगाई रसोई का बजट पूरी तरह बिगाड़े हुए है. वहीं आटे की बात करें तो आटा भी महंगा होता जा रहा है.

महंगाई के साथ बढ़ी बेरोजगारी
वित्त सलाहकार शिवमंगल सिंह चौहान का कहना है के सारे व्यवसाय बंद होने के साथ फैक्ट्रियां भी बंद हो गईं हैं. बेरोजगारी की दर बढ़ गई है, कुछ इसके कारण भी महंगाई बढ़ी है. महंगाई का एक कारण परिवहन भी हो सकता है. पेट्रोलियम पदार्थों के रेट बढ़ने के कारण माल भाड़े में वृद्धि हुई है. यदि सरकार चाहे तो जमाखोरी पर कंट्रोल कर, लगातार पेट्रोलियम पदार्थों के दामों की वृद्धि पर अंकुश लगाकर भी परिवहन को सस्ता किया जा सकता है. सरकार को मैन्युफेक्चर पर ध्यान देना चाहिए

तेल हुआ 30-40 रुपये महंगा
महंगाई को लेकर किराना व्यापारी गुरदास खत्री ने बताया कि कोरोना काल ने महंगाई को चरम पर पहुंचा दिया है. महंगाई से बाजार भी प्रभावित हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम ऊपर से जो सामान लाते हैं, वह महंगा आता है. जिस कारण हमे भी सामान महंगा बेचना पड़ता है. उन्होंने कहा कि तेल करीब 30-से-40 रुपये महंगा हो गया है.

महंगाई बिगाड़ रहा रसोई का बजट, दालों के दाम छू रहे आसमान

किसान कमलेश चौधरी का कहना है कि किसान हमेशा महंगाई की मार झेलता रहा है. किसान को कभी भी फसल का वाजिब दाम नहीं मिला. किसान का लाभ जमा खोरों को मिला है. जमाखोर बड़े दामों में अनाज बेच रहे हैं. कोरोना काल में किसान और ज्यादा परेशान हैं. साथ ही सरकार की लचीली नीति के कारण भी किसान महंगाई की मार झेल रहा है.

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