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अब होशंगाबाद का नाम होगा नर्मदापुरम, चारों विधायकों ने किया समर्थन

होशंगाबाद प्राचीन, धर्मिक, सांस्कृतिक स्वरूप के रूप में पहचान रखने वाले होशंगाबाद शहर का नाम बदलने जा रहा है. प्राचीन काल में शहर को नर्मदापुरम के नाम से पहचाना जाता था. एक बार फिर उसी नाम को दोबारा रखने की कवायद शुरू हो गई है. नर्मदा जयंती महोत्सव कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने होशंगाबाद शहर का नाम नर्मदापुरम करने की घोषणा की. वे जल्द ही इसके नए नाम का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजेंगे. अब होशंगाबाद नर्मदापुरम के नाम से जाना जाएगा.

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चारों विधायकों ने किया समर्थन

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Published : Mar 6, 2021, 5:37 PM IST

होशंगाबाद। उत्तर प्रदेश में जिलों के नाम बदलने की आंधी अब मध्यप्रदेश की ओर रुख कर गई है. यहां बीजेपी नेता शहरों व जिलों के पुराने नाम बदलकर नए नाम रखने की वकालत कर रहे हैं. भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर अटल करने की, कवायद आज भी जारी है. इसी कड़ी में अब प्रदेश का ऐतिहासिक जिला होशंगाबाद के नाम बदलने पर खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मोहर लगा दी है. जिसके तहत होशंगाबाद शहर का नाम जल्द ही नर्मदापुरम होगा. इसकी घोषणा नर्मदा जयंती महोत्सव कार्यक्रम के जल मंच से खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने की है.

चारों विधायकों ने किया समर्थन
  • अब होशंगाबाद नाम होगा नर्मदापुरम

बता दें कि मध्य प्रदेश विधानसभा में होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम रखने की मांग पर जिले के चारों विधायक डॉ सीतासरन जी शर्मा, ठाकुर विजयपाल सिंह, प्रेमशंकर वर्मा, ठाकुरदास नागवंशी ने अपना समर्थन जताया है. अशासकीय संकल्प के माध्यम से होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम करने के लिए प्रस्ताव रखा गया था, जो विधानसभा में सर्वसम्मानित पारित हुआ है. जिसे अब केंद्र शासन भेजा गया है.

नर्मदापुरम कैसे बन गया होशंगाबाद ?

मांडू का सुल्तान हुशंगशाह 1405 में भोपाल होते हुए नर्मदापुरम आया था. उसने गांव का नाम बदलकर होशंगाबाद कर दिया और होशंगाबाद हंडिया और जोगा में किले बनवाए. 1567 में मांडू के पतन के बाद फिर गौड़ राजाओं का शासन आया. 18वीं सदी की शुरुआत में होशंगाबाद गिन्नौरगढ़ रियासत का हिस्सा बन गया था. 1722 में गिन्नौरगढ़ रियासत पर भोपाल के नवाब दोस्त मोहम्मद का कब्जा हो गया.

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