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Narmadapuram chartered accountant: आनंद रैकवार के सफलता की कहानी! विपरीत परिस्थितियों में की पढ़ाई, सब्जी बेचकर मां ने बनाया बेटे को सीए - Narmadapuram vegetable seller son became chartered accountant

गरीब परिवार के संर्घष और सफलता से जुड़ी ये कहानी मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम जिले की है. एक बच्चे की मां ने अपने बेटे को पढ़ाने के लिए कई तरह के जतन करती है. अपने बेटे की फीस के लिए वह इटारसी में सब्जी बेचा करती है. बेटा भी मां की इस मेहनत को सफलता में बदलने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ता और आखिरकार वह कड़ी मेहनत के बाद चार्टेड एकाउंटेंट की डिग्री (Chartered Accountant Degree) हासिल कर लिया है.

Narmadapuram chartered accountant
सब्जी बेंचकर मां ने बनाया बेटे को सीए

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Published : Jul 22, 2022, 10:55 PM IST

नर्मदापुरम। इरादे मजबूत हो तो किसी भी मुकाम तक पहुंचा जा सकता है. रास्ते में मुश्किलें जरूर आड़े आती हैं, लेकिन मुश्किलों से घबराए बिना मंजिल को टारगेट रखने से रास्ता आसान हो जाता है. ये कहानी भी इसी गरीब परिवार के संर्घष से जुड़ी हुई है. शहर के सब्जी मंडी में रहने वाली मथुरा बाई स्वयं पढ़ी लिखी नहीं है. वह इटारसी में सब्जी बेचने का काम करती है, लेकिन इनका बेटा विपरीत परिस्थितियों में अपनी मेहनत से चार्टेड एकाउंटेंट की डिग्री (Narmadapuram Chartered Accountant Degree) हासिल कर लिया है.

माता-पिता का सपना पूरा:शहर के सब्जी मंडी में रहने वाली मथुरा बाई स्वयं तो पढ़ी लिखी नहीं हैं, लेकिन अपने बेटे आनंद रैकवार को पढ़ाने और परिवार का भरण पोषण करने के लिए सब्जी मंडी में सब्जी बेचने का काम करती हैं. उन्होंने दिन रात एक करके अपने बेटे को पढ़ाया. आज आनंद रैकवार ने अपने माता पिता का सपना पूरा कर सीए की डिग्री हासिल की है.

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शहर में संचालित करेंगे इंस्टीटयूट: पढ़ाई के दौरान कई बार आर्थिक संकट भी आया, बावजूद इसके आनंद ने हौसला नहीं खोया. 8 साल कडी मेहनत पर सीए की डिग्री हासिल कर ली. जहां तक पहुंचने के पहले ही अधिकांश लोग असफल हो जाते हैं. इस संबंध में जब आनंद रैकवार से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि, उनकी मां सब्जी बेंचती है. वह परिवार के ऐसे पहले सदस्य हैं जिन्होंने इतनी बड़ी डिग्री हासिल कर परिवार का मान बढाया है. उनके अलावा परिवार का कोई सदस्य ऐसा नहीं है जो दसवी कक्षा से अधिक पढाई की हो. उन्होंने इंदौर से सीए की डिग्री हासिल की है. अब वह शहर में ही इंस्टीटयूट संचालित कर छात्र छात्राओं को आगे बढ़ाने का काम करेंगे.

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