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'डैम के नाम पर घने जंगलों और आबाद गांव को उजाड़ना मंजूर नहीं', समझाईश देने आए अधिकारियों को ग्रामीणों ने उल्टे पाँव लौटाया - protest against dam on morand ganjal river

नर्मदापुरम जिले के ग्राम मोरघाट के आदिवासी गंजाल नदी पर बनने वाले डैम के खिलाफ बगावत पर उतर आए हैं. ग्रामीणों को समझाने गए अधिकारी भी बैरंग लौट आए, ग्रामीणों ने उनकी एक नहीं सुनी. आदिवासियों ने कहा कि हम किसी भी सूरत में डैम नहीं बनने देंगे.

NARMADAPURAM tribals protest against dam
मोरंड-गंजाल नदी पर बनने वाले डैम का विरोध

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 20, 2023, 1:01 PM IST

मोरंड-गंजाल नदी पर बनने वाले डैम का विरोध

नर्मदापुरम। जिले की सिवनी मालवा तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम मोरघाट इलाके में मोरंड गंजाल नदी पर बनने वाले बांध के सर्वे करने से पहले एनवीडीए के अधिकारी ग्राम सामरधा में आदिवासी ग्रामीणों से चर्चा करने पहुंचे. जहां उनके द्वारा डैम बनाने के लिए गाँव विस्थापित करने पर ग्रामीणों को क्या-क्या लाभ होगा ये बताया गया. परन्तु आदिवासियों ने दो टूक कहा की ''हमें पैसे नहीं चाहिए, हम बस इतना चाहते है की यहां डैम नहीं बने.'' आदिवासियों का कहना है कि यदि डैम बना तो हजारों किसान खेती से हाथ धो बैठेंगे.

डैम से डूबेंगे गांव, खत्म हो जाएंगे जंगल: डैम से कई गांव डूब में आ रहे हैं, जबकि क्षेत्र में सिंचाई के पर्याप्त संसाधन पहले से ही हैं. ग्रामीणों का मानना है गंजाल-मोरंड परियोजना के निर्माण से सदियों से हमारे पूर्वजों द्वारा संरक्षित किए गए और बचाए गए जंगल बड़ी मात्र में खत्म हो जाएंगे. जिससे कि हमारे पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा. इस परियोजना से कई हेक्टेयर जंगल जलमग्न हो जाएगा. अतः इससे पर्यावरण को अपूर्णीय क्षति होगी. इस परियोजना के निर्माण से हमारी आजीविका का प्रमुख साधन खेती खत्म हो जाएगी जो हम नहीं चाहते हैं.''

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डैम बनने से पानी के स्त्रोत हो जाएंगे खत्म: ग्रामीणों का कहना है कि "डैम बनने से हमारे पशुओं के चरागाह, उनके लिए पानी के स्त्रोत खत्म हो जाएंगे, जिससे कि उनको पालना बहुत मुश्किल हो जाएगा. अभी हमारे लिए उपलब्ध सेवाएं जैसे स्वास्थ्य, बच्चों कि आंगनवाड़ी, स्कूल और सुविधाएं भी खत्म हो जाएंगी. मोरंड गंजाल सिंचाई परियोजना के लाभ क्षेत्र के गांवों में से अधिकांश गांव में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हैं, सिंचाई के नाम पर घने जंगलों और सालों से आबाद गांव को उजाड़ना मंजूर नहीं.''

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