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भारत के बढ़ते कदम, चंद्रमा पर पड़ते कदम... एक क्लिक में जान लीजिए इस मिशन से जुड़ी हर जरूरी जानकारी

चंद्रायन 3 की लैंडिंग को लेकर नेशनल अवार्ड प्राप्‍त विज्ञान प्रसारिका सारिका घारू ने बताया कि इस मिशन के सबसे प्रमुख उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रव के पास ऊंचे इलाके पर सॉफ्टलैंडिंग करना है.

Narmadapuram News
नेशनल अवार्ड प्राप्‍त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू

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Published : Jul 14, 2023, 9:33 AM IST

नेशनल अवार्ड प्राप्‍त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू

नर्मदापुरम।नर्मदापुरम की रहने वाली नेशनल अवार्ड प्राप्‍त विज्ञान प्रसारिका सारिका घारू ने चंद्रायन 3 की लैंडिंग को लेकर जानकारी साझा की है. सारिका ने बताया कि "14 जुलाई को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर भारत की चंद्रयात्रा आरंभ होने जा रही है, जो 23 या 24 अगस्‍त श्रावण शुक्‍ल 7वीं तिथि को चंद्रमा पर कदम रखने जा रही है. यह दिन एवं समय भी किसी मुहूर्त निकालने के समान है."

चंद्रमा का एक दिन पृथ्‍वी के लगभग 14 दिन के बराबरःसारिका ने बताया, ''इस विज्ञान यात्रा का मुहूर्त इस आधार पर तय किया गया है कि चंद्रमा के लैंडिंग वाले स्‍थान पर सूर्योदय कब होगा. लैंडर की चांद की सतह पर लैंडिंग के लिए जरूरी है कि वहां सूरज निकला हो. वह सूर्य ऊर्जा से काम करता है. चंद्रमा पर लगभग पृथ्‍वी के लगभग 14 दिन तक सूरज निकलता है. लैंडर और रोवर चंद्रमा के एक दिन जो कि पृथ्‍वी के लगभग 14 दिन के बराबर है और इसे ऐसे ही संचालित करने के लिए डिजाइन किया गया है.''

इस मिशन का प्रमुख ये उद्देश्यः सारिका ने बताया कि, ''जब यह प्रक्षेपित किया जायेगा, तब चंद्रमा की पृथ्‍वी से दूरी 3 लाख 94 हजार किमी से कुछ अधिक होगी. वहीं, जब यह चंद्रमा पर लैंड करेगा, तब चंद्रमा पृथ्‍वी से लगभग 3 लाख 82 हजार 840 किमी दूर होगा. इस मिशन के सबसे प्रमुख उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रव के पास ऊंचे इलाके पर सॉफ्टलैंडिंग करना. इसके अलावा रोवर को चंद्रमा की सतह पर चलते हुए वैज्ञानिक प्रयोगों को करने की भारत की क्षमता को प्रदर्शित करना है.''

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सारिका ने बताया कि, ''लैंडर एवं रोवर में लगे वैज्ञानिक उपकरण स्थानीय सतह की मौलिक संरचना का अध्ययन, गैस और प्लाज्मा पर्यावरण का अध्ययन एवं सतह के तापीय गुणों एवं लैंडिंग स्थल के आसपास भूकंपीयता का मापन करेंगे. तो हो जाइये तैयार देश के चांद को छू लेने के इस अभियान का जश्‍न मनाने."

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