नर्मदापुरम। प्रकृति संस्कृति और विकास पर विकास की अवधारणा जल, जंगल, जमीन की जनसभा एवं जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय सम्मेलन का कार्यक्रम 2 दिन नर्मदापुरम के नर्मदा एवं तवा के संगम पर बांद्रा बांध में आयोजित होगा. इस जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय कार्यक्रम में अलग अलग 11 राज्यों के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता शामिल होंगे. इसको लेकर शुक्रवार को नर्मदापुरम में प्रेस वार्ता रखी गई. जिसमें नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख मेधा पाटकर भी शामिल हुईं. उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कई अहम मुद्दों पर चर्चा की साथ ही उन्होंने मौजूदा सरकार की नीतियों पर भी बात किया. मेधा ने सरकार को घेरते हुए तंज कसा "वाह री सरकार तेरा खेल, सस्ती दारू महंगा तेल"
नाम बदलने से काम नहीं होता: मेधा पाटकर ने कहा केवल बड़वानी में ही पानी पीने योग्य नहीं है, बल्कि जबलपुर में भी रोज शहर का गंदा पानी नर्मदा में मिल रहा है. एसटीपी सीवर ट्रीटमेंट प्लांट इसके लिए विविधा विदेशी साहूकारी संस्थान से करोड़ों रुपए लिए गए हैं. इसकी पोल खोल एक चैनल ने की है. उसके बावजूद एसटीपी नहीं बनी है. बड़वानी के पानी का टेस्ट रिपोर्ट जो बताता है, यह पानी पीने लायक नहीं है. उसमें नाइट्रेट्स है, उसमें हार्ड वाटर है, पथरी क्या कई सारी बीमारियां हो रही हैं. बड़वानी का हमने अभ्यास किया है इसलिए मैं बता रही हूं. आप ने भी होशंगाबाद की स्थिति देखी है, हर जगह की स्थिति देखिए, नर्मदा की स्थिति देखिए. जबलपुर से अमरकंटक तक आपको यही मिलेगा जो सुप्रीम कोर्ट ने कहा है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने होशंगाबाद का नाम नर्मदापरम रख दिया. नर्मदापुरम नाम रखने के बाद नर्मदापुरम की स्थिति कितनी बदली है के प्रश्न को लेकर मेघा पाटकर ने बताया कि नाम बदलने से काम नहीं होता है.