नर्मदापुरम।केंद्र सरकार की चंद साल पहले दुधारु पशुओं की नई और उन्नत ब्रीड तैयार करने के लिए देश में दो जगहों पर ब्रीडिंग सेंटर्स की शुरुआत की. आंध प्रदेश के कुन्नूर में पहला और दूसरा मध्य प्रदेश के इटारसी कीरतपुर में शुरू हुआ. यहां उन्नात नस्ल के सांडों की मदद से सामान्य मवेशियों के गर्भ से दुधारू प्रजाति की बछिया तैयार होंगी. 25 करोड़ की लागत से साल 2016 में यह प्रोजेक्ट मंजूर हुआ था. नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर के प्रबंधक डॉ. आस्तिक श्रीवास्तव ने बताया कि "5 साल बाद यहां पर मवेशियों की सेकेंड जनरेशन देखने को मिल रही है.
सेंटर में अभी 1,000 मवेशी हैं. भारतीय नस्लों की गाय एवं भैंसों का वैज्ञानिक तरीके से पालन पोषण कर जेनेटिक मेरिट विकसित की गई. कुल 13 गायों एवं 4 भैंसों की नस्ल यहां रखी गई है. देश में सीमन उत्पादन के लिए 51 सीमन स्टेशन हैं, जिनसे हर साल लगभग 8 करोड़ सीमन डोज तैयार होते हैं. हालांकि देश में 10 करोड़ डोज की मांग है. भविष्य में नस्लों की संख्या बढ़ाने के अलावा 15 करोड़ डोज का लक्ष्य है."
गायों की नस्लों को बचाने का काम करेगी ये संस्था: मध्य प्रदेश के पहले नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर पर अब गायों की नस्लों को बचाने का काम किया जाएगा. दरअसल विलुप्त होती गायों की सेरोगेसी के माध्यम से नई नस्लों को पैदा किया जा रहा है. गाय एवं भैंस की प्रजाती को बचाने के लिए IVF जैसी तकनीक का प्रयोग कर दूध उत्पादकता एवं गाय-भैंसों का संवर्धन एवं संरक्षण किया जाएगा. किरतपुर स्थित प्रदेश में खुले नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर भारत सरकार द्वारा आयोजित सेंटर पर भ्रूण प्रत्यारोपण पद्धति का उपयोग कर सेरोगेसी गाय के रूप में किया जाएगा.