होशंगाबाद। मध्यप्रदेश की लाइफ लाइन मानी जाने वाली नर्मदा नदी का भौतिक और पौराणिक महत्व है, इसे प्रदेश की जीवन रेखा कहा जाता है क्योंकि ये प्रदेश को जीवन देती आ रही है, लेकिन जीवनदायिनी मां नर्मदा को भी प्रदूषण का सामना करना पड़ रहा है. नर्मदा महाविद्यालय के केमिस्ट्री विभाग के मुताबिक बीते 3 माह में नर्मदा के प्रदूषण में 25 फीसदी तक बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.
नर्मदा नदी का जल अब आचमन करने लायक भी नहीं बचा है. दिन-ब-दिन नर्मदा के तटों पर श्रद्धालुओं का जमावड़ा बढ़ता ही जा रहा है, इसके बावजूद वहां पहुंचने वाले कम ही लोग नर्मदा के जल से आचमन करना पसंद करते हैं. अधिकांश तट पर खड़े होकर नर्मदा के जल को हाथ में लेकर नमन कर लेते हैं.
नर्मदा नदी में जल प्रदूषण पिछले 3 माह में 25 फीसदी तक बढ़ा है, नर्मदा महाविद्यालय के केमिस्ट्री विभाग ने अलग-अलग घाटों से पानी का सैंपल लेकर जांच के बाद ये बताया है. केमिस्ट्री विभाग ने बारिश से पहले होशंगाबाद जिले के आसपास अलग-अलग जगह से सैंपल लिया था, जिसके बाद ये जानकारी लगी कि पानी में ऑक्सीजन की मात्रा लगातार घटती जा रही है.
- नर्मदा के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा घटती जा रही है, जोकि जलीय जीवों के लिये हानिकारक है.
- जल में घुली ऑक्सीजन 6 पॉइंट होती है, वह 4.5 से 5.4 पर पहुंच गई है.
- जल सीओडी (केमिकल ऑक्सीजन डिमांड) जोकि सामान्यतः 400 से 800 होता है, वह 4 हजार से 5 हजार तक पहुंच गई है.
- बीओडी (बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड) जोकि 200 से 400 होनी चाहिये है, वह 600 से 800 पहुंच गया है.
- जलीय जीवों के लिए जरूरी फैकल कॉलीफॉर्म जिसकी मात्रा एक लाख के करीब होनी चाहिये, वह नर्मदा जल में 25 लाख से ऊपर चली गई है.
- फैकल कॉलीफॉर्म की बढ़ती मात्रा जलीय जीव के जीवन पर संकट खड़ा कर रही है.