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प्रवासी पक्षियों को आशियाना दे रही नर्मदा नदी, धार्मिक क्षेत्र होने से मिल रहा फायदा - नर्मदा नदी किन किन राज्यों में पड़ती है

नर्मदा नदी (narmada river hoshangabad) केवल मनुष्य ही नहीं बल्कि पशु-पक्षियों के लिए भी जीवनदायनी है. अद्भुत पारिस्थितिक तंत्र के कारण इसके रिपेरियन जोन में कई पशु-पक्षी आसानी से देखे जा सकते हैं. यह पक्षी नर्मदा के गोंदरी घाट से लेकर हर्बल पार्क के क्षेत्र में रहते हैं.

migrant birds in hoshangabad
प्रवासी पक्षी

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Published : Nov 29, 2021, 8:40 AM IST

होशंगाबाद। प्रदेश की जीवन रेखा कही जाने वाली नर्मदा नदी (narmada river hoshangabad) देश में आस्था, विश्वास, एवं अद्भुत पारिस्थितिक तंत्र के लिए जानी जाती है. नर्मदा नदी केवल मनुष्य ही नहीं बल्कि पशु-पक्षियों के लिए भी जीवनदायनी है. अद्भुत पारिस्थितिक तंत्र के कारण इसके रिपेरियन जोन (repairen zone of narmada river) में कई पशु-पक्षी आसानी से देखे जा सकते हैं. यह पक्षी नर्मदा के गोंदरी घाट से लेकर हर्बल पार्क के क्षेत्र में रहते हैं.

होशंगाबाद में प्रवासी पक्ष

4-6 महीने प्रवास पर रहते हैं पक्षी
सर्दियों के समय यहां नदी का पानी कम होने से रेत के छोटे-छोटे टापुओं पर दुर्लभ, एवं प्रवासी पक्षी आसानी से मिल जाते हैं. इन प्रवासी पक्षियों (migrant birds in hoshangabad) के लिए यह स्थान भोजन के साथ-साथ रहने के लिए भी सुरक्षित है. पक्षियों के लिए यह स्थान उनके अनुकूल है. नर्मदा नदी धार्मिक एवं आस्था के साथ-साथ पक्षियों को भी शरण देती है. इसके रिपेरियन जोन में प्रवासी पक्षी सुरक्षित रहते हैं. करीब 4 से 6 माह के प्रवास के बाद पक्षी यहां से अगले स्थान के लिए रवाना हो जाते हैं. यह यहां अल्प प्रवास पर आते हैं.

तीन प्रकार के प्रवासी पक्षी आते हैं होशंगाबाद
कई सालों से शोध कर रहे बॉटनी के प्रोफेसर रवि उपाध्याय बताते हैं कि होशंगाबाद में तीन प्रकार के प्रवासी पक्षी आते हैं. इनमें पहले भोजन के लिए आते हैं, दूसरे बुडिंग साइड अंडे या बच्चे देने के लिए आते हैं और तीसरे वह पक्षी आते हैं, जो बच्चों को अच्छी तरह से पाल सकें. सर्दियों के समय में पानी कम हो जाने के कारण नर्मदा नदी में छोटे-छोटे टापू बन जाते हैं. इन टापुओं पर प्रवासी पक्षी अपने आवास बना लेते हैं. यह टापू उनके बुडिंग टाइप्स बन जाते हैं.

धार्मिक क्षेत्र होने से पक्षियों को मिलता है फायदा
धार्मिक क्षेत्र होने के कारण इन प्रवासी पक्षियों का यहां संरक्षण हो जाता है. इन्हें यहां कोई नहीं मारता है. इस क्षेत्र में जंगली जीव जंतु भी आस पास में नहीं हैं, जो इनका शिकार कर सकें. पक्षियों के लिए यहां जल, भोजन और सुरक्षा तीनों ही चीजें बड़ी ही आसानी से मिल जाती हैं. यहां अलग-अलग देशों से अलग-अलग मौसम में पक्षी आते हैं. कुछ पक्षी गर्मियों में आते हैं, जो अफ्रीका से आते हैं. इनमें से कुछ ऐसे भी पक्षी होते हैं जो ऑन-द-वे होते हैं. इन पक्षियों का प्रवास लंबा होता है, जैसे- अफ्रीका से चीन तक, चीन से जापान तक.

इन महीनों में ज्यादा आते हैं पक्षी
अक्टूबर, नवंबर, दिसंबर, जनवरी, फरवरी और मार्च इन महीनों में प्रवासी पक्षी होशंगाबाद के क्षेत्रों में देखने को मिल जाते हैं. एक अनुमान के अनुसार अगर हमारे रेजिडेंशियल क्षेत्रों में यदि 50 प्रजाति के पक्षी हैं, तो 50 प्रकार के ही प्रवासी पक्षी भी प्रवास पर रहते हैं. जितने प्रकार के स्थानीय पक्षियों की प्रजाति हैं. उतनी ही प्रवासी पक्षियों की भी प्रजातियां हैं. हर साल प्रवासी पक्षी इतने आते हैं कि लोगों को इसमें समझ ही नहीं आता कि कौन से प्रवासी पक्षी हैं और कौन सा स्थानीय पक्षी.

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सामान्य रूप से यदि देखा जाए तो कोयल भी एक प्रवासी पक्षी है. पपीहा प्रवासी पक्षी है. चकवा भी एक प्रवासी पक्षी है. साथ ही छोटे-छोटे वेवलर्स, बंटिंग्स, छोटी-छोटी बत्तखें भी प्रवासी पक्षी हैं. शाम के समय भी यह पक्षी भी दिखाई दे सकते हैं. सुबह के समय लगातार पानी के ऊपर जो उड़ते दिखाई देते हैं, इनमे से रिवर्टल, ब्लैक बेली, बाबली प्रजाति ये सब प्रवासी पक्षी होते हैं. परेटिंग पोल छोटी सी कबूतर के जैसी चिड़िया सर्दियों के समय पानी पर उड़ती दिखाई देती हैं. कुछ प्रवासी पक्षी जनवरी, फरवरी, मार्च में आते हैं. यह झुंड में आते हैं. इन्हें रोजी स्टर्न कहां जाता है. यह पक्षी यूरोप से हमारे यहां पर आते हैं. 2-3 महीने के प्रवास के बाद यह पक्षी वापस चले जाते हैं.

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