नर्मदापुरम। वैसे तो भारत में भगवान शिव के कई प्रसिद्ध मंदिर और शिवालय हैं लेकिन भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का अपना अलग ही महत्व है. इन्हें द्वादश ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि, इन ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से ही व्यक्ति को उसके सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है, लेकिन नर्मदापुरम जिले की सिवनी मालवा तहसील में पूरे भारत का एकमात्र प्राकृतिक चतुर्मुख शिवलिंग मौजूद है. हर साल महाशिवरात्रि पर यहां भक्तों का तांता लगता है. दूर दराज से श्रद्धालु यहां भगवान शिव का आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं. (Chaturmukh Shivling came out of earth)
साफ दिखाई देता है भोलेनाथ का चेहरा
भोलेशंकर की महिमा को समझ पाना किसी के वश की बात नहीं. धर्मशास्त्रों में तो इस बात का उल्लेख मिलता ही है. वर्तमान में भी कई ऐसे उदाहरण भी देखने को मिलते हैं. सिवनी-मालवा तहसील के मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर मां नर्मदा- इन्द्रावती के संगम पर स्थित ग्राम भेला में प्राकृतिक चतुर्मुख शिवलिंग विराजमान है. ये शिवलिंग अपने आप में ही अलग पहचान रखता है, क्यूंकि इस चतुर्मुख शिवलिंग की स्थापना नहीं की गई है, बल्कि ये स्वयं धरती से निकले हैं. इस शिवलिंग की बनावट भी इतनी अच्छी है, की इसमें भगवान शिव का साफ-साफ चेहरा बना हुआ दिखाई पड़ता है.