होशंगाबाद। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर पहली राष्ट्र कविता लिखने वाले कवि माखनलाल चतुर्वेदी और महात्मा गांधी का संगम अटूट रहा है. माखनलाल दादा के लिए बापू का समर्पण एक मिसाल है, जो कि तब देखने को मिला जब बापू हरिजन आंदोलन के लिए देशभर का दौरा कर रहे थे. जब गांधी इटारसी पहुंचे तो उन्होंने माखनलाला दादा की जन्मभूमि बाबई जाने की इच्छा जाहिर की, लेकिन कुछ कारणवश वे वहां नहीं जा सके, लेकिन उनकी जन्मभूमि जाने के लिए वे दोबारा इटारसी आए और बाबई पहुंचे.
माखनलाल दादा ने बापू पर लिखी कविता का नाम निशब्द रखा था, जिसे पढ़ कर महात्मा गांधी माखनलाल चतुर्वेदी के अभिभूत हो गए थे और लगातार राष्ट्र के लिए समर्पित कविताओं से प्रभावित माखनला दादा की जन्मभूमि की जाने की लालसा महात्मा गांधी को लगातार सता रही थी.
1933 में होशंगाबाद का किया था दौरा
1933 में वर्धा से बापू ने हरिजन दौरा शुरू किया था.नागपुर से 30 नवंबर 1933 को बापू इटारसी पहुंचे और इटारसी स्टेशन पर मौजूद विशाल जनसमूह सार्वजनिक सभा में शामिल हुए. सार्वजनिक सभा हीरालाल चौधरी के घर के पास आयोजित थी, जहां गांधीजी को 211 रुपए की थाली-प्लेट दी गई थी. इस दौरान उन्होंने माखनलाल दादा की जन्मभूमि बाबई जाने की बात कही, लेकिन स्वास्थ्य खराब होने और तवा नदी में बाढ़ की वजह से टूटे पुल के कारण वे नहीं जा सके.