होशंगाबाद। 21वीं सदी की सबसे बड़ी त्रासदी जाने वाली कोरोना महामारी ने लोगों के जिंदगी जीने का तरीका बदल दिया है. दुनिया भर के वैज्ञानिक कोरोना वायरस के लिए वैक्सीन बनाने में जुटे हुए है. ऐसे इस जानलेवा वायरस से बचाव के लिए मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग को कारगर मना जा रहा है. बढ़ते संक्रमण के बीच लोगों को जागरुक करने के लिए 'मास्क ही वैक्सीन' कार्यक्रम का आयोजित किया जा रहा हैं. कहीं बगैर मास्क के घरों से बाहर निकलने वालों को समझाइश देने के साथ ही उन्हें मास्क और फेस फील्ड सहित अन्य सामग्री बांटी जा रही है. इस अभियान को विज्ञान के शिक्षक राजेश पाराशर द्वारा शुरू किया गया है, जो शहरों सहित गांव-गांव में जाकर लोगों को जागरुक कर रहे हैं.
होशंगाबाद के आदिवासी केसला ब्लॉक का एकमात्र शासकीय उत्कृष्ट स्कूल के विज्ञान शिक्षक राजेश पाराशर मॉडल के माध्यम से लोगों को जागरुक करते हैं. राजेश पाराशर ने लोगों को जागरुक करने के लिए एक अनोखा मॉडल तैयार किया है. विज्ञान शिक्षक ने कोरोना से बचने के लिए मास्क और दो गज की दूरी रखने की बात को वैज्ञानिक तौर पर सिद्ध करके दिखा रहे हैं. इस मॉडल के जरीए उन्होनें लोगों को समझाने की कोशिश की है कि जैसे ही संक्रमित व्यक्ति छीकता है तो उससे एक मीटर पर खड़ा दूसरा व्यक्ति संक्रमित हो जाता है. वहीं जब दोनों मॉडल के चेहरे पर मास्क लगा दिया गया तो समान्य व्यक्ति संक्रमित होने से बच सकता है.
केवल संदेश ही नहीं प्रयोग के तौर पर बता रहे मास्क का महत्व