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MP High Court News डबल मर्डर में उम्रकैद से दंडित 11 लोगों को HC से राहत

इटारसी में साल 2010 में हुए दोहरे हत्याकांड मामले में आजीवन कारावास से दण्डित 11 आरोपियों को हाईकोर्ट से राहत मिली है. हाईकोर्ट जस्टिस सुजय पॉल तथा जस्टिस अमरनाथ केसरवानी ने संदेह का लाभ देते हुए सेशन कोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया है.

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Published : Feb 7, 2023, 7:18 PM IST

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डबल मर्डर में उम्रकैद से दंडित 11 लोगों को HC से राहत

जबलपुर।अभियोजन के अनुसार 8 फरवरी 2010 को रात 11.30 बजे मैरिज हॉल के पास आरोपी शंकर मिहानी और उसके साथियों ने सचिन तिवारी तथा मुन्नू उर्फ मृत्युजंय उपाध्याय को रोककर आपराधिक मामले में आरोपी अंशुल के समर्थन में हलफनामा देने दवाब बनाया. मुन्नू ने विरोध किया तो उन्होने मारपीट शुरू कर दी और उन्हें लेकर आजाद पंजा रेलवे कॉसिंग के पास ले गये. आरोपियों ने धारदार हथियार से हमला कर दोनों आरोपियों की हत्या कर दी. पुलिस के अनुसार झगडा मैरिज हॉल के पास हुआ था, जिसका प्रत्यक्षदर्शी गवाह देवेन्द्र सिंह राजपूत था. गवाह ने अपने बयान में कहा है कि दोनों व्यक्तियों की मौत का समाचार उसने न्यूज पेपर में पढ़ा था. पुलिस ने उसके बयान को अपनी मर्जी के अनुसार दर्ज किये थे. बयान देने के दौरान पुलिस कर्मी कोर्ट के दरवाजे में खड़े थे और बयान सुन रहे थे.

पुलिस के तर्क को काटा :पुलिस के अनुसार आजाद पंजा चौक स्थित रेलवे क्रॉसिंग के पास गुल्लू ने आरोपियों को हत्या करने हुए देखा था. गुल्लू विवाह में घोड़ी लेकर मेहरागांव से सोनासपानी गया था. लौटते समय रात लगभग 11.30 बजे वारदात को देखा था. इसके अलावा उसने यह भी आरोप लगाया था कि बयान बदलने के लिए आरोपी शंकर के भाई दयाल ने उसे रिश्वत दी थी. प्रथम विवेचना अधिकारी ने अपने बयान में कहा है कि मेहरागांव से सोनासपानी मार्ग में आजाद पंजा चौक नहीं आता है. आजाद पंजा चौक में आवागमन बना रहा है. अन्य किसी स्वतंत्र व्यक्ति के साक्ष्य नहीं लिये गये. याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि मृतक के दोस्त ने अपने बयान में कहा है कि उसने रात 11.15 बजे मोटरसाइकिल से दोनों को घर छोड़ा था.

ये साक्ष्य भी दिए :इसके अलावा मृतक सचिन की मां ने स्वीकार किया है कि भोजन करने के बाद रात 11.45 घर से निकला था. इसके अलावा एक अन्य दोस्त ने यह स्वीकार किया है कि रात लगभग 11.45 बजे सचिन उसके पास आया था और घबराया हुआ था. हाईकोर्ट जस्टिस सुजय पॉल तथा जस्टिस अमर नाथ केसरवानी के पाया कि 27 फरवरी 2010 तक आरोपियों के नाम उजागर नहीं हुए थे. प्रथम विवेचना अधिकारियों से प्रकरण विवेचना के लिए दूसरे थाना प्रभारी को सौंपा गया था. विवेचना मिलने के बाद उक्त अधिकारी ने प्रत्यक्षदर्शी साक्षी गुल्लू के बयान 24 फरवरी को दर्ज किये. इतने दिनों तक प्रत्यक्षदर्शी साक्षी के बयान दर्ज नहीं किये गये. इसके अलावा प्रत्यक्षदर्शी साक्षी के खिलाफ 32 आअपराधिक प्रकरण दर्ज हैं.

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मासूम के साथ रेप का मामला हाईकोर्ट पहुंचा :मासूम बच्ची का अपहरण कर उसके साथ दुराचार तथा हमला करने वाले अवयस्क आरोपी को जिला न्यायालय ने साक्ष्यों के आधार पर दोषमुक्त कर दिया था. जिसके खिलाफ मासूम बच्ची के पिता तथा सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार ने पक्ष प्रस्तुत करने समय प्रदान करने का आग्रह किया, जिसे स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट जस्टिस सुजय पॉल तथा जस्टिस अमरनाथ केसरवानी ने अगली सुनवाई 24 मार्च को निर्धारित की है. मामला दमोह जिले के जबेरा थानान्तर्गत ग्राम वंषीपुर में 22 अप्रैल 2020 का है.

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