जबलपुर।अभियोजन के अनुसार 8 फरवरी 2010 को रात 11.30 बजे मैरिज हॉल के पास आरोपी शंकर मिहानी और उसके साथियों ने सचिन तिवारी तथा मुन्नू उर्फ मृत्युजंय उपाध्याय को रोककर आपराधिक मामले में आरोपी अंशुल के समर्थन में हलफनामा देने दवाब बनाया. मुन्नू ने विरोध किया तो उन्होने मारपीट शुरू कर दी और उन्हें लेकर आजाद पंजा रेलवे कॉसिंग के पास ले गये. आरोपियों ने धारदार हथियार से हमला कर दोनों आरोपियों की हत्या कर दी. पुलिस के अनुसार झगडा मैरिज हॉल के पास हुआ था, जिसका प्रत्यक्षदर्शी गवाह देवेन्द्र सिंह राजपूत था. गवाह ने अपने बयान में कहा है कि दोनों व्यक्तियों की मौत का समाचार उसने न्यूज पेपर में पढ़ा था. पुलिस ने उसके बयान को अपनी मर्जी के अनुसार दर्ज किये थे. बयान देने के दौरान पुलिस कर्मी कोर्ट के दरवाजे में खड़े थे और बयान सुन रहे थे.
पुलिस के तर्क को काटा :पुलिस के अनुसार आजाद पंजा चौक स्थित रेलवे क्रॉसिंग के पास गुल्लू ने आरोपियों को हत्या करने हुए देखा था. गुल्लू विवाह में घोड़ी लेकर मेहरागांव से सोनासपानी गया था. लौटते समय रात लगभग 11.30 बजे वारदात को देखा था. इसके अलावा उसने यह भी आरोप लगाया था कि बयान बदलने के लिए आरोपी शंकर के भाई दयाल ने उसे रिश्वत दी थी. प्रथम विवेचना अधिकारी ने अपने बयान में कहा है कि मेहरागांव से सोनासपानी मार्ग में आजाद पंजा चौक नहीं आता है. आजाद पंजा चौक में आवागमन बना रहा है. अन्य किसी स्वतंत्र व्यक्ति के साक्ष्य नहीं लिये गये. याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि मृतक के दोस्त ने अपने बयान में कहा है कि उसने रात 11.15 बजे मोटरसाइकिल से दोनों को घर छोड़ा था.