होशंगाबाद। मध्य प्रदेश का एक छोटा सा गांव जुनेहटा, यह गांव वैसे तो आम गांव की तरह है, लेकिन यहां पर होने वाली सामाजिक और आर्थिक बदलावों ने इसे खास बना दिया है. महिलाओं की मेहनत और पारंपरिक आजीविका के काम ने इसे एक आदर्श गांव बना दिया है, जो सैकड़ों महिलाओं और समाज के लोगों के लिए आदर्श का उदाहरण है. इस गांव की महिलाओं ने अपनी मेहनत से इस गांव की रंगत बदल दी है, इन्होंने बंजर भूमि को उपजाऊ और लाभ के धंधे की जमीन बना दिया है.
होशंगाबाद मुख्यालय से करीब 100 किलोमीटर दूर बनखेड़ी ब्लॉक के जूनेहटा गांव में करीब हजार लोगों की आबादी है. जंगलों से घिरे हुए दूधी नदी के नजदीक पहाड़ और जंगल के बीच स्थित छोटे इस गांव में सरकारी प्रोजेक्ट के तहत मिली रैतेली जमीन को उपजाऊ बनाकर नर्सरी का बनाने का काम यहां की दस महिलाओं ने मिलकर किया है.
यह पूरी पहल स्व सहायता समूह योजना के तहत की गई है, जिसमें सभी महिलाओं ने मिलकर एक संस्था के तौर पर काम किया है महिलाओं ने पंचायत के माध्यम से स्व सहायता समूह के तौर पर नर्सरी स्थापित करने का प्रोजेक्ट तैयार किया है. इसमें महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए काम किया जा रहा है. महिलाओं ने गंगा स्व सहायता समूह बनाया है जो पर्यावरण के लिए काम कर रहा है, जिन्हें सरकार की मदद से खाली पड़ी दो एकड़ भूमि मिली है, जिस पर उन्होंने पर्यावरण के लिए काम करते हुए नर्सरी की स्थापना की है. जिसमें करीब 50 हजार पौधे का लगाकर, उन्हें बड़ा किया जा रहा है जिन्हें बेचकर भविष्य में आय की जा सकेगी.
करीब तीन माह की मेहनत में तैयार किया जमीन
स्व सहायता समूह की महिला ने बताया कि समूह की 10 महिलाओं ने सरकार से मिली जमीन को साफ कर करीब तीन माह में जमकर मेहनत कर, उसे खेती करने लायक बना लिया है. जब ये जमीन सरकार से मिली थी जब यहां जंगल था और जमीन खेती करने लायक नही थी, जिसको इन महिलाओं ने दिन रात मेहनत कर खेती करने लायक बना दिया है.
जैविक खेती से उपजाऊ बनाई जमीन