होशंगाबाद। जिले में दिव्यांग भजन गायक आलोक शुक्ला ने नरवाई नहीं जलाने और किसानों को संदेश देने का बीड़ा उठाया है. अब तक करीब 40 गांव के किसानों तक पहुंचकर आलोक शुक्ला ने नरवाई न जलाने का संदेश किसानों को दिया.
वह खुद भी रहे पीड़ित
दरअसल, दो साल पहले खुद नरवाई की आग में घिरने के बाद बमुश्किल बचे आलोक शुक्ला ने जन जागरूकता लाने की बात ठान कर यह मुहिम शुरू की. आलोक पिछले 15 दिनों में 40 गांव के किसानों के पास पहुंचे. जागरण समिति चलाने वाले आलोक बचपन से दोनों पैरों से दिव्यांग है. वे मोटराइज्ड ट्राई साइकिल लेकर गांव के हाट गलियों और चौराहे पर खड़े हो जाते हैं. गांव-गांव में किसानों को समझाइश देते हैं कि नरवाई में आग नहीं लगाएं. नरवाई जलाने से खेतों को नुकसान होता है.
तबाही देखा, तो आया विचार
आलोक शुक्ला बताते हैं कि करीब दो साल पहले अप्रैल माह में पांजरा, लोहारिया, गवाड़ी, तारारोड़ गांव नरवाई की आग से घिर गए थे. जब दूसरे दिन जाकर गांवों में तबाही देखा, तो मुझसे रहा नहीं गया. उसके बाद से ही इस मुहिम की शुरुआत की है, ताकि लोग नरवाई न जलाएं.
घूम-घूम कर इस अंदाज में अलख जगा रहा दिव्यांग भजन गायक
दिव्यांग भजन गायक किसानों को नरवाई न जलाने का संदेश दे रहे है.
किसान जागरूकता के लिये कार्यशाला आयोजित नरवाई नहीं जलाने की की किसानों ने ली शपथ
करीब 130 किसानों ने दिए वचन
आलोक मोटराइज्ड ट्राई साइकिल में लगे बैटरी वाले स्पीकर से नरवाई की आग से होने वाले नुकसान की जानकारी किसानों को देते हैं. उनसे बात करते हैं. इस दौरान किसान आलोक की इस मुहिम से प्रभावित होकर उन्हें नरवाई न जलाने का वचन भी दे चुके हैं. किसानों का कहना है कि यह पहल बहुत अच्छी है. आलोक की इस मुहिम से करीब 130 किसानों ने उन्हें वचन दिया हैं कि नरवाई नहीं जलाएंगे.
इस मुहिम में परिवार ने भी दिया साथ
आलोक बताते हैं कि उनकी इस मुहिम की शुरुआत में लोग उनका मजाक उड़ाते थे, पर उनकी पत्नी चंद्रकला, मां नीलिमा और 13 वर्षीय बेटी आन्या ने उनका बहुत हौसला बढ़ाया, जिसके चलते नरवाई न जलाने की इस मुहिम को वह निरंतर जारी रखे हुए हैं.