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नर्मदा का तांडव जारी, मीलों दूर तक फैला बाढ़ का पानी, चारों तरफ मची तबाही

होशंगाबाद जिले में बीते दिनों आई बाढ़ के चलते लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं प्रशासन का सुस्त रवैया लोगों को आक्रोश पैदा कर रहा है.

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भगवान भरोसे बाढ़ पीड़ित

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Published : Sep 1, 2020, 3:06 PM IST

होशंगाबाद।बीते दिनों से प्रदेश सहित जिले में भारी बारिश का दौर जारी है. प्रदेश के कई जिले जलमग्न हो गए हैं. खासकर नर्मदा नदी के रौद्र रूप से लोगों को काफी समस्या हो रही है. हालांकि अब बाढ़ का पानी कम हो गया है. जिले के लिए बाढ़ आफत की पुड़िया बनती जा रही है. तीन दिन से खतरे के निशान से ऊपर बहती नर्मदा नदी और सहायक नदियों का बैकवॉटर लोगों की जिंदगी और उनकी मेहनत को कई महीनों पीछे ले गया है. कुछ घंटों में ही अचानक से आया जल सैलाब से आम परिवारों को लाखों का नुकसान हुआ है. लगातार होती बारिश और अचानक से नर्मदा में बांधों से पानी आने के चलते शहर में तेजी से जलभराव की स्थिति बन गई है. लोगों के घर देखते देखते ही एक-एक मंजिल तक डूब गए, लेकिन इस बीच प्रशासनिक मदद समय पर नहीं पहुंच पाई. ऐसे में जब ईटीवी भारत जब बाढ़ पीड़ितों से मिलने पहुंचा तो उन्होंने अपना दर्द बयां किया.

भगवान भरोसे बाढ़ पीड़ित,

नर्मदा पर उफान पर होने के बावजूद प्रशासन का सुस्त रवैया लोगों की परेशानी का सबब बना हुआ है. प्रशासन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रहा है. ऐसे में लोगों का हाल बेहाल हुआ जा रहा है. बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने के लिए भी प्रशासन कोई सतर्कता नहीं दिखा रहा है. कई लोगों के घर बर्बाद हो गए हैं. बाढ़ में धाराशायी हुए घर के मालिक रामकुमार अहिरवार का कहना है कि ना ही प्रशासन घर गिरने के बाद तह लेने पहुंचा और ना ही किसी तरह की मदद पहुंचाई. पड़ोसियों के घर में रहकर बीते 3 दिन से जिंदगी काट रहे हैं. ऐसे में जब मीडिया पीड़ितों से मिलने पहुंचा तो उन्होंने अपना दर्द बयां किया.

प्रशासन से नहीं पहुंची कोई मदद

होशंगाबाद का संजय नगर इलाका बैकवॉटर से काफी प्रभावित हुआ है. इसके बावजूद प्रशासन लोगों की मदद को नहीं पहुंच पाया है. लोगों ने 2 दिनों तक घर की छतों पर रहकर गुजारा किया है. छोटी बाई नामक महिला का कहना है कि बाढ़ का पानी अचानक इतनी तेजी से आया कि घर का सामान भी नहीं बचा पाए. देखते ही देखते घर की पहली मंजिल पानी की चपेट में आ गई. कोई भी प्रशासनिक अमला मौक पर नहीं पहुंचा. जबकि बाढ़ आने पर प्रशासन की जिम्मेदारी होती है कि लोगों की जान माल की सुरक्षा करें. वहीं पानी उतरने के बाद भी अभी तक बिजली की सुविधा नहीं मिल सकी है. हम बीते तीन दिन से दीपक जलाकर कर रहने को मजबूर हो रहे हैं.

भोजन-पानी को तरसे लोग
बाढ़ में फंसे विनोद कहार का कहना है कि हर तरफ पानी ही पानी होने के बावजूद प्रशासन ने कोई व्यवस्था नहीं की, लोग खाने को भी तरस गए हैं. वहीं बाढ़ का पानी कम होने के बाद शहर के हालात बद से बदतर हो गए हैं. शहर गंदगी से पटा हुआ है, लेकिन कोई भी नगर पालिका कर्मचारी सफाई के लिए नहीं पहुंचा. ऐसे में बाढ़ के बाद होने वाली बीमारियों का खतरा भी बना हुआ है.

वहीं संजयनगर निवासी महिला सरोज बाई बताती हैं कि नर्मदा का जलस्तर अचानक बढ़ने से घरों में पानी घुस गया. इसे लिए प्रशासन ने मुनादी भी नहीं कराई. यदि समय पर मुनादी कराकर चेतावनी जारी की कर दी जाती, तो घर के सामान को नुकसान होने से पहले बचा सकते थे.

बाढ़ पीड़ितों के लिए कार्य योजना तैयार: कलेक्टर

कलेक्टर का धनंजय सिंह का कहना है कि बाढ़ पीड़ितों के लिए कार्य योजना बनाई गई थी. सभी सुविधाएं देने का वादा किया था, लेकिन यह सभी जमीनी स्थल पर देखने को नहीं मिल रहा है. बता दें कि कलेक्टर ने बाढ़ के बाद पीएचई विभाग सहित नगर पालिका और नगर पंचायतों को पेयजल और चिकित्सा की व्यवस्था करने के निर्देश जारी किए थे, लेकिन जमीनी स्तर पर एक-एक किलोमीटर दूर से पानी भरकर लाने को मजबूर हो रहे हैं. कई लोग ट्यूब के सहारे जान जोखिम में डालकर पानी लाते हुए भी दिखाई दिए.

जिला प्रशासन मामले में लोगों को सभी सुविधाएं देने की बात कर रहा है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है. प्रशासन ने बाढ़ पीड़ितों के लिए कोई भी इंतजाम नहीं किए हैं. बाढ़ आने के तीन दिन बाद भी पीड़ित सुविधाओं को तरस रहे हैं. नगर गंदगी से पटा पड़ा है, लेकिन कोई भी सफाई कर्मी नजर नहीं आ रहा है. इससे शहर के लोगों में बिमारी फैलने का खतरा भी बढ़ गया है.

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