होशंगाबाद। हर बार की तरह इस बार भी गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) पर घर में 10 दिन के लिए गणपति (Ganpati) का आगमन होगा, लेकिन इस साल गणपति (Ganpati) की प्रतिमा (idol) के कई रूप इन 10 दिनों में देखने को मिलेंगे. कहीं गणपति ओलंपिक (Olympic) के खिलाड़ी बने दिखेंगे तो कहीं वैक्सीनेशन (Vaccination) के लिए लोगों को जागरूक करते नजर आएंगे.
Ganesh Chaturthi: गणपति बप्पा बने ओलंपिक खिलाड़ी, वैक्सीनेशन का भी दे रहे संदेश, देखें वीडियो
कोरोना काल (corona period) में गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) के पर्व पर गणपति बप्पा वैक्सीनेशन (Vaccination) का संदेश देते नजर आ रहे हैं. इतना ही नहीं ओलंपिक गेम्स (Olympic games) के प्रति बच्चों को जागरूक करते बप्पा को खिलाड़ी के रूप में भी देखा जा सकता है.
10 दिनों तक लोगों को दिया जाएगा संदेश
दरअसल, भविष्य निःशक्त विशेष विद्यालय के बच्चों द्वारा भी ऐसी ही इको फ्रेंडली (Eco friendly) गणेश प्रतिमा का निर्माण किया गया है. वहीं पर्यावरण संरक्षण (Environment protection) का संदेश भी इनके मध्यम से दिया जा रहा है. बच्चों द्वारा पर्यावरण के अनुकूल गणेश (Ganesh) प्रतिमाओं में टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympic) में एमपी (MP) के कांस्य पदक (bronze medal) लाने वाले खिलाड़ी विवेक सागर (Vivek sagar), भाला फेंक में स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) नजर आएंगे. यही संदेश इस वर्ष दिव्यांग बच्चों द्वारा बनाई गणेश प्रतिमा के माध्यम से 10 दिनों तक लोगों को दिया जाएगा.
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13 वर्षो से बना रहे हैं प्रतिमा
संस्था संचालिका अफरोज खान बताती है, कि 13 वर्षो से गणेश प्रतिमा (Ganesh idol) का निर्माण किया जा रहा है, प्रति वर्ष गणेश प्रतिमा के मध्यम से लोगों को अलग-अलग संदेश दिए जाते हैं. इस बार भी 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ', गमला गणेश, वैक्सीनेशन (Vaccination) के प्रति लोगों को जागरूक करना, टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympic) में भारत के प्रदर्शन को प्रतिमा के जरिए दर्शाया गया है. संस्था संचालिका ने बताया की अब दिव्यांग बच्चों (handicapped children) को प्रशिक्षण देकर मूर्तियों का घर घर में निर्माण किया जाता है. इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा के निर्माण के बाद शहर में दो स्थानों पर सिर्फ सहयोग राशि के मध्यम से ही लोगों को ये मूर्तियां दी जाती हैं.
ऐसे बनती है, पर्यावरण के अनुकूल गणेश प्रतिमा
दिव्यांग बच्चों (handicapped children) द्वारा खेत की काली मिट्टी में गोंद, कागज, बीज, अनाज के दानों का प्रयोग कर गणेश प्रतिमा (Ganesh idol) बनाई जाती हैं. इसका एक फायदा ये भी है कि मूर्ति विसर्जन के दौरान अनाज के दानों को मछलियां खा लेती हैं, नहीं तो पानी में बहकर नदी के किनारे बीज द्वार पौधों का निर्माण हो जाता है.