होशंगाबाद।नर्मदानगरी के नाम से प्रसिद्ध होशंगाबाद में चंद दिनों पहले आई बाढ़ के जख्म अब भी देखने को मिल रहे हैं. बाढ़ से आशियाना छिना तो लोग सड़क किनारे तंबू तानकर वक्त गुजार रहे हैं. फसलें बर्बाद हो चुकी हैं, बाढ़ में बह गए पालूत पशुओं का दर्द रह-रह कर उठ रहा है. बाढ़ के ये जख्म इतने गहरे हो चुके हैं कि जल्द नहीं भरने वाले. लिहाजा बाढ़ पीड़ित उम्मीद और आशा भरी निगाहों से सरकार की तरफ देख रहे हैं. कि कुछ मुआवजा मिल जाएगा तो शायद जिंदगी फिर से पटरी पर लौटे.
बाढ़ पीड़ितों को कब मिलेगा मुआवजा बाढ़ में सबकुछ बह गया
होशंगाबाद में 40 सालों बाद ऐसी बाढ़ आयी कि जहां शहर का ऐसा कोई कोना नहीं बचा जहां बाढ़ का पानी नहीं पहुंचा. बाढ़ का पानी उतरने के बाद जब लोग अपने घरों में पहुंचे तो सबकुछ बदल चुका था. बाढ़ का पानी अपने साथ सारा सामान बहाकर ले गया. हर तरफ नुकसान ही नुकसान दिख रहा था. लिहाजा सरकार ने तत्काल बाढ़ से हुए नुकसान का सर्वे करने के आदेश दे दिए.
मुश्किल में हो रहा गुजारा 200 करोड़ से भी ज्यादा का नुकसान
करीब तीन हफ्तो तक चले सर्वे के बाद जो आंकड़े सामने आए, उसमें 3 दिन की बाढ़ में करीब 15 करोड़ से अधिक का नुकसान होशंगाबाद शहर में निकलकर सामने आया है. जबकि पूरे जिले में करीब 200 करोड़ से भी ज्यादा का नुकसान आंका गया. वही जान माल की हानि के बाद होशंगाबाद शहर के आस-पास भारी नुकसान हुआ.
होशंगाबाद के 9 ब्लॉक में बाढ़ से हुआ नुकसान
होशंगाबाद जिला प्रशासन के सर्वे में 1 लाख लोग बाढ़ की चपेट में आए, जहां 100 प्रतिशत फसल पूरी तरह बर्बाद हो गयी, तो 17 हजार से ज्यादा मकान जलमग्न हो गए. जिसमें जिले के 9 ब्लॉक के 17 हजार 800 परिवार बाढ़ पीड़ित हैं. 1 हजार 584 मवेशियों की मौत दर्ज हुई. जिनका कुल 4 करोड़ 69 करोड़ रुपए का नुकसान आंका गया है. जिला प्रशासन का दावा है कि इन बाढ़ पीड़ित परिवारों के खातें में 4 करोड़ 52 लाख रुपए की राशि ट्रांसफर कर दी गयी है.
गांव-गांव में भर गया था बाढ़ का पानी बाढ़ के सर्वे से खुश नहीं है लोग
प्रशासन के इस सर्वे से बाढ़ पीड़ित इस सर्वे से खुश नहीं है. उनका कहना है कि सर्वे के नाम पर खानापूर्ति की गयी है. जितना नुकसान हुआ है उतना सर्वे तो किया ही नहीं गया. बाढ़ पीड़ित ब्रजेश कहते हैं उनका बहुत नुकसान हुआ, अनाज, बर्तन, कपड़े, न जाने कितना सामान बाढ़ का पानी बहा ले गया. लेकिन सर्वे में इतना नुकसान लिखा ही नहीं जा रहा.
बाढ़ के बाद छतों पर लोगों ने गुजारी थी रात बाढ़ में बह गया पूरा सामान
इसी तरह चंपा बाई बताती है कि सुनने में आ रहा है कि पांच-पांच हजार रुपए का मुआवजा मिलने वाला है. लेकिन नुकसान तो 50 से 60 हजार का हुआ है. इतने से पैसों में गुजारा कैसे चलेगा. लेकिन अभी भी मुआवजा मिला नहीं है. जबकि उनके हालात दिन ब दिन खराब होते जा रहे हैं. क्योंकि पूरा अनाज बह जाने से हर दिन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
तीन दिन तक लोग होते रहे परेशान जल्द मिलेगा मुआवजा
ऐसे में जब इस मामले में होशंगाबाद के अपर कलेक्टर से बात की गयी तो उनका कहना है कि शुरुआत में ही जो सर्वे किया गया था. उसका मुआवजा बाढ़ पीड़ितों को बांट दिया गया है. अभी भी सर्वे का काम जारी है. जैसे ही राज्य शासन से पैसा आएगा. तत्काल बाढ़ पीड़ितों को खाते में उसे ट्रांसफर किया जाएगा. इसके अलावा किसानों को भी उनकी फसलों के नुकसान का पूरा पैसा दिया जाएगा.
पूरे शहर में भर गया था नर्मदा का पानी 40 बाद आई थी होशंगाबाद में बाढ़ से हुई इतनी तबाही
बड़ा सवाल यह है कि एक तरफ प्रशासन कह रहा है कि चार करोड़ से ज्यादा की राहत तत्काल बाढ़ पीढ़ितों को दे दी गयी है. लेकिन कई बाढ़ पीड़ित कह रहे है यह राशि उनके खातें में पहुंची ही नहीं है. लिहाजा वे जल्द से जल्द मुआवजा राशि दिए जाने की मांग कर रहे हैं. 40 साल बाद होशंगाबाद में आई इस भयंकर बाढ़ में जिले का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं बचा जो बाढ़ से प्रभावित नहीं हुआ हो. अभी बाढ़ से हुई तबाही का मंजर दिख रहा है. बाढ़ प्रभावित बारिश के वो तीन याद करके सहर उठते हैं. ऐसे में अब सरकार को इन बाढ़ पीड़ितों की देर न करते हुए मदद करनी चाहिए. क्योंकि बाढ़ पीड़ित सरकार से मुआवजे की उम्मीद लगाए बैठे हैं.