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बाढ़ में बह गई गृहस्थी, खेती-बागवानी सबकुछ तबाह, अन्नदाता को सरकार से आस - crop destroyed in flood

बाढ़ से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है. फसल के साथ खेत में बने घर भी बह गए, साथ ही फलों के बगीचों को भी नुकासान हुआ है. सब्जियां पूरी तरह से तबाह हो गई हैं. मवेशी भी बाढ़ के पानी में डूबने से मर गए हैं. इस प्राकृतिक परेशानी से किसानों की कमर टूट गई है. 50 फीसदी फसलें नष्ट हो गई हैं. प्रशासनिक टीम नुकसान का आंकलन कर रही है.

Crop waste
फसल बर्बाद

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Published : Sep 9, 2020, 9:41 AM IST

होशंगाबाद। प्रदेश में इस साल बाढ़ से भारी तबाही हुई है, जिसमें किसानों को भी काफी नुकसान झेलना पड़ा है. तीन दिन तक लगातार बारिश के बाद नर्मदा नदी और तवा नदी में बाढ़ से कई जगह फसलें नष्ट हो गई, जबकि कहीं की हरी भरी फसल बर्बादी की कगार पर पहुंच गई है. तीन दिनों तक पानी में डूबे रहने के चलते फसलें सड़ गई हैं. धान, सोयाबीन, उड़द की फसल पानी में डूब गई थी, जिसमें फसलों को नुकसान हुआ है.

फसल बर्बाद

बारिश तो थम गई है, लेकिन बर्बादी का आलम अन्नदाता को दूसरों के सामने हाथ फैलाने को मजबूर कर दिया है, किसान अब सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं, रायपुर गांव के किसान काशीराम का कहना है कि बारिश में धान के साथ सब्जी के खेती भी बर्बाद हो गई है. खेत पर बना घर भी पानी में धराशाई हो गया, जिससे घर में रखा अनाज भी खराब हो गया है.

धान को ज्यादा नुकसान

तीन लाख हेक्टेयर में लगी फसलें बर्बाद

जिले का करीब 50 फीसदी इलाका बाढ़ से प्रभावित है. जिले में 3 लाख 15 हजार हेक्टेयर में फसलें लगी थी, जिसमें 1 लाख 65 हजार हेक्टेयर में धान, 70 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन, करीब 20 हजार हेक्टेयर में मूंग और उड़द की फसल लगाई गई थी.

खेतों में भरा पानी

नर्मदा और तवा किनारे की फसल हुई तबाह

नर्मदा और तवा नदी के किनारे लगी फसलें सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, जिसमें नदी किनारे के करीब 80 गांव की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. जिले में अतिवृष्टि के चलते सोयाबीन की फसल पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा है. जानकारों के अनुसार 50 फीसदी फसल नष्ट हुई है, जिसमें बारिश सहित अन्य कीटों और रोगों का प्रकोप माना जा रहा है. फिलहाल सर्वे का काम शुरू किया गया है, करीब एक हफ्ते में फसलों के नुकसान का आंकलन सामने आएगा.

किसान परेशान

घर और मवेशियों का भी नुकसान

नदी किनारे स्थित गांवों में फसल के साथ मवेशियों और मकानों को भी भारी नुकसान हुआ है. गांव में खेतों के बीच बने घर बह गए, जिसमें रखा गृहस्थी का सामान भी खराब हो गया है. बाढ़ के चलते मवेशियों की भी मौत पानी में डूबने से हो गई है. फिलहाल किसान सरकार से मुआवजे की आस लगाए बैठे हैं. ऐसे ही एक किसान तोरई का कहना है कि धान की फसल के साथ मौसमी आम, कटहल, नींबू भी प्रभावित हुए हैं.

फलों के बगीचे तेज बारिश और बाढ़ के पानी से नष्ट हो गए हैं. जिले के निर्माणधीन नेशनल हाइवे से लगे खेत भी प्रभावित हुए हैं, जिनमें कंस्ट्रक्शन का मटेरियल बहकर खेतों में पहुंच गया है, जिसके चलते अब गेहूं की फसल उगाना भी मुश्किल होगा. प्रशासन लगातार सर्वे में जुटा है, कलेक्टर धनंजय सिंह ने बताया कि बाढ़ से जो क्षति हुई है, उसका आंकलन कृषि, राजस्व की टीम ग्रामीण क्षेत्र का दौरा कर एक हफ्ते मे रिपोर्ट सौंपेगी.

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