होशंगाबाद। गर्मियों के मौसम में गरीबों का फ्रिज कहे जाने वाले मटकों का कोरोना वायरस ने मिजाज बिगाड़ दिया है. जहां एक तरफ आयुष मंत्रालय की गाइडलाइन जिसमें ठंडा पानी को पीने की रोक है, वहीं लोगों का बाजार में न निकलना कुम्हारों की आर्थिक स्थिति को बिगाड़ दिया है. बाजारों में मटके का बाजार तो सजा हुआ है लेकिन उसकी रौनक बढ़ाने वाले खरीददार नजर नहीं आ रहे हैं.
10 फीसदी हुई खरीदी
कोरोना वायरस के बाद देशभर में लंबे समय से जारी लॉकडाउन और 40 डिग्री से उपर पहुंच रहे इस तापमान में जब सबसे अधिक बिक्री कुम्हार की मटके की होती है सबसे अधिक मटके और सुराही की मांग बढ़ने लगती है, लेकिन इस बार मटके की दुकान तो सजाई गई है लेकिन ग्राहक मटका खरीदने नहीं पहुंच रहे हैं.जिसके चलते मटके की बिक्री में भारी गिरावट देखने को मिली है. कुम्हारों का कहना है कि इस बार केवल 10 फीसदी ही बिक्री हुई है.
करीब डेढ़ लाख के मटके हो रहे खराब
कई पीढ़ियों से मटकों का व्यापार करते आ रहे गब्बर प्रजापति ने बताया है कि पहली बार ऐसी स्थिति देखने को मिली है कि गर्मियों में कोई मटका खरीदने नहीं आ रहा है. और करीब डेढ़ लाख रुपए के मटके रखे हुए है जिनका कोई भी खरीदार नही मिल रहा है.जिसका चलते अब इन कुम्हारों की आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी है.