नर्मदापुरम। दीपावली पर आतिशबाजी का अलग ही आनंद है. अब आतिशबाजी भी अलग तरीके से होने लगी है. लोग अब ज्यादा शोरशराबा करने वाली आतिशबाजी से दूरी बनाने लगे हैं. फिर भी दीपावली पर आतिशबाजी तो परंपरा है. लोग ऐसी आतिशबाजी चाहते हैं, जिससे भरपूर रोशनी हो और खतरा भी न हो. नर्मदापुरम में एक प्रजापति परिवार ऐसे ही मिट्टी के अनार बनाता है. मिट्टी के इन अनारों की डिमांड पूरे मध्यप्रदेश में है. इन अनारों का बनाने का काम प्रजापति परिवार पूरे साल करता है. इसके बाद दीपावली से कुछ दिन पूर्व इन्हें पटाखा व्यापारियों को बेचा जाता है. पटाखा व्यापारी इसमें हल्की आतिशबाजी का मेटैरियल भरकर दुकानों में सेल करने के लिए लगाते हैं. मिट्टी के अनारों की आतिशबाजी काफी आकर्षक और खतरारहित होती है. ये प्रजापति परिवार सालभर में करीब डेढ़ लाख मिट्टी के अनार बनाता है, जो हाथोंहाथ सेल हो जाते हैं.
पूरे एमपी में सप्लाई :दीपावली को रोशन करने वाले मिट्टी के अनार बनाने के लिए नर्मदापुरम प्रदेश में अलग पहचान बना चुका है. इन अनारों की सप्लाई जिले के अलावा पूरे मध्य प्रदेश में होने लगी है. नर्मदापुरम के बीटीआई क्षेत्र स्थित प्रजापति परिवार करीब तीन पीढ़ियों से मिट्टी के अनार बनाने का काम करता आ रहा है. इन मिट्टी के अनारों को बनाने में पूरा परिवार एक साल तक मेहनत करता है. हालांकि साल में तीन माह बारिश के दौरान चाक बंद रहता है. सालभर में 10 से 11 ट्रालियां खेतों की मिट्टी खरीद कर इनसे अनारों को बनाने का काम होता है.