नर्मदापुरम।विलुप्त होती गाय एवं भैंस की प्रजाती को बचाने के लिए आईवीफ जैसी तकनीक का प्रयोग कर दूध उत्पादकता एवं गाय भैंसों का संवर्धन एवं संरक्षण के लिए किया जायेगा. आई वी एफ सेंटरों का आमतौर पर उपयोग मनुष्यों में इस पद्धति का प्रयोग किया जाता है, पर अब जल्द ही इसका प्रयोग नर्मदापुरम जिले के किरतपुर स्थित प्रदेश में पहले खुले नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर भारत सरकार द्वारा आयोजित सेंटर पर भ्रूण प्रत्यारोपण पद्धति का उपयोग कर सेरोगेसी गाय के रूप में किया जाएगा. इस पद्धति से अच्छा दूध देने वाली गाय, विलुप्त होती गाय और भैंसों को बचाया जायेगा. इसके साथ ही इससे दूध उत्पादन में भी बढ़ोत्तरी होगी. बता दें कि देश का पहला गाय सेरोगेसी केंद्र आंध्रप्रदेश में स्थित है. (first National Kamdhenu Breeding Center in mp) (Cow surrogacy in mp)
इतनी नस्लों का होगा संरक्षण:मध्य प्रदेश के इटारसी में अब विलुप्त होती गायों की प्रजाति का संवर्धन एवं संरक्षण का काम किया जा रहा है, नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर भारत सरकार द्वारा इटारसी के किरतपुर में आयोजित किया गया है. फिलहाल 13 गायों की नस्ल एवं 4 भैंसों की प्रजाती का पालन पोषण यहां किया जा रहा है, पूरे भारत में 13 गायों की नस्ल हैं इनकी नस्लों का संरक्षण एवं संवर्धन का काम यहां किया जाएगा.
ऐसे होगी सेरोगेसी: दूध उत्पादकता के लिए इस केंद्र पर अच्छी नस्ल की गायों का भ्रूण प्रत्यारोपण के द्वारा अच्छी नस्ल की गायों का एंब्रियो तैयार कर ओवा निकालकर अच्छी नस्ल के सांड से निकालकर गायों में ट्रांसफर करते हैं, अच्छी नस्ल की गाय इसके माध्यम से पैदा होंगी. एंब्रियो ट्रांसफर टेक्नोलोजी अब किरतपुर में भी शुरू होने जा रहा है, इससे पहले यह भोपाल में भी बनाया हुआ है. इस के माध्यम से उन गायों का संवर्धन एवं संरक्षण किया जायेगा आने वाले समय में अन्य नस्लों में भी वृद्धि होगी.